अध्याय 24: पादपों में नियंत्रण एवं समन्वयन (Control & Coordination in Plants)
परिचय: सभी जीवों में उपापचयी/जैविक क्रियाएँ सतत चलती रहती हैं और इनका नियंत्रण एवं समन्वयन आवश्यक है। जन्तुओं में यह कार्य तंत्रिका तथा अंतःस्रावी तंत्र मिलकर करते हैं, जबकि पादपों में मूलतः रासायनिक समन्वयक (Plant Hormones) द्वारा होता है।
पादप हार्मोन (Plant Hormones)
पादप हार्मोन जटिल कार्बनिक पदार्थ हैं जो वृद्धि एवं विकास को नियंत्रित करते हैं। सामान्यतः ये जड़/तने के शीर्षस्थ विभज्योतक (Apical meristem) में बनते हैं और अत्यल्प मात्रा में प्रभाव दिखाते हैं। अधिक या कम मात्रा में होने पर विपरीत प्रभाव भी संभव है।
वर्गीकरण
- वृद्धि प्रवर्धक हार्मोन – ऑक्सिन, जिबरेलिन, साइटोकाइनिन आदि।
- वृद्धि निरोधक हार्मोन – एब्सिसिक अम्ल, इथाइलीन आदि।
ऑक्सिन (Auxin)
खोज: वेंट (Went). मुख्य कार्य कोशिका दीर्घीकरण व शीर्ष प्रमुखता। शीर्ष कलिका में अधिक सान्द्रता पाई जाती है।
उदाहरण: IAA, IBA, I3PA, NAA, 2,4-D
ऑक्सिन के प्रमुख कार्य
- शीर्ष प्रमुखता (Apical Dominance): शीर्ष कलिका सक्रिय रहती है; पार्श्व कलिकाएँ दब जाती हैं। शीर्ष हटाने पर पार्श्व कलिकाएँ बढ़ती हैं।
- कोशिका दीर्घीकरण: विशेषकर प्ररोह में।
- प्रकाशानुवर्तन (Phototropism): प्रकाश की ओर झुकाव में भूमिका।
- पुष्पन आरम्भन: अनन्नास/लीची आदि में समान पुष्पन हेतु स्प्रे।
- विलगन रोकना: 2,4-D/IBA/NAA छिड़काव से पत्ती/फूल/फल गिरना घटता है।
- प्रसुप्ति: कलिका/बीज/कन्द को अधिक समय संग्रह हेतु सुप्त किया जा सकता है।
- कोशिका विभाजन: साइटोकाइनिन के साथ ऊतक संवर्धन/कैलस में विभाजन तीव्र।
- खरपतवारनाशी: 2,4-D द्विबीजपत्री खरपतवार नष्ट करता है।
- अनिषेकफलन: केला, सन्तरा, अंगूर आदि में बीजरहित फल निर्माण।
जिबरेलिन (Gibberellin; GA)
खोज: कु्रोसावा; जिबरेला फ्यूजीकुरोई कवक से (याबुता व सुमिकी). अनेक प्रकारों में GA3 प्रमुख।
जिबरेलिन के कार्य
- बौने पादपों का दीर्घीकरण: मक्का/मटर में अंतरवर्तियों का दीर्घीकरण (Bolting)।
- दीर्घ प्रदीप्तिकाली पादपों में पुष्पन: अल्प प्रकाश अवधि में भी पुष्पन संभव।
- प्रसुप्ति तोड़ना: कन्द/बीज/शीत-कलियों की सुप्ति दूर; अंकुरण प्रेरित।
- अनिषेकफलन: टमाटर, सेब, नाशपाती आदि में बीजरहित फल।
- शीत उपचार का प्रतिस्थापन: कुछ द्विवर्षीय पौधों में बिना प्राकृतिक सर्दी के पुष्पन।
- बीज अंकुरण: सलाद/तम्बाकू में अंधकार में भी अंकुरण संभव।
- एधार (Cambium) की सक्रियता: काष्ठीय पौधों में द्वितीयक वृद्धि प्रोत्साहित।
- फल आकार व गुच्छा लंबाई बढ़ाना: अंगूर इत्यादि में उपयोगी।
दीप्तिकालिता (Photoperiodism)
गार्नर व एलार्ड के अनुसार दीप्तिकाल (दिन/रात की अवधि) पुष्पन आदि पर प्रभाव डालता है; पत्तियों में फ्लोरिजन का निर्माण होता है।
- अल्प प्रदीप्तिकाली पादप (SDP): तम्बाकू, सोयाबीन, गन्ना, सरसों आदि।
- दीर्घ प्रदीप्तिकाली पादप (LDP): चुकन्दर, मूली, गाजर, आलू आदि।
साइटोकाइनिन (Cytokinin)
मिलर व सहकर्मी; काइनेटिन (DNA अपघटन से)। स्कूग ने नारियल पानी में समान प्रभाव; जियाटिन (Zeatin) प्रथम प्राकृतिक व सर्वाधिक सक्रिय साइटोकाइनिन।
मुख्य कार्य
- कोशिका विभाजन: ऑक्सिन के साथ मिलकर तीव्र विभाजन।
- दीर्घीकरण/विभेदन: कैलस में अनुपात के अनुसार जड़/प्ररोह का निर्माण।
- शीर्ष प्रभाविता का प्रतिकार: पार्श्व कलिकाएँ सक्रिय।
- प्रकाश-संवेदी बीजों का अंकुरण: सलाद/तम्बाकू में अंधकार में भी।
- जीर्णता में विलम्ब, पोषक अभिगमन, हरितलवक परिपक्वन, फ्लोएम संवहन आदि।
एब्सिसिक अम्ल (Abscisic Acid; ABA)
कार्न्स व एडिकॉट; वेयरिंग ने डॉरमिन नाम दिया। यह वृद्धि संदमक हार्मोन है जो उपापचय को धीमा कर सुषुप्तावस्था लाता है।
मुख्य कार्य
- जीर्णता व विलगन: पत्तियों/फलों का शीघ्र झड़ना।
- कलिका/बीज सुषुप्ति: अनुकूल परिस्थितियाँ मिलने तक भ्रूण वृद्धि रोके रखना।
- पुष्पन पर प्रभाव: SDP में दीर्घ-दिवस पर पुष्पन; LDP में दमन।
- रन्ध्र बंद करना: सूखे तनाव में स्टोमाटा बंद।
इथाइलीन (Ethylene)
एकमात्र गैसीय पादप हार्मोन; फल पकाने में प्रमुख भूमिका।
- फल वृद्धि व पकना: सेब, केला, आम आदि के कृत्रिम पकाने में उपयोग।
- अनुप्रस्थ वृद्धि: अनुलम्ब वृद्धि का दमन, पार्श्व वृद्धि का उद्दीपन।
- विलगन क्षेत्र का निर्माण: पत्ती/फूल/फल गिरना।
- शीर्ष प्रभाविता: पार्श्व कलिका वृद्धि का दमन।
- जड़ प्रारम्भन: कम सान्द्रता पर पार्श्व जड़/मूलरोम वृद्धि।
- पुष्पन: अधिकांश में कमी, पर अनन्नास में पुष्पन प्रेरित।
- प्रसुप्तावस्था का नाश: विभिन्न अंगों में।
सुषुप्तावस्था (Dormancy)
ऐसी अस्थाई अवस्था जिसमें उपापचय बहुत कम हो जाता है। बीज/कलिका की सुप्ति प्रायः ABA से नियंत्रित होती है जो ऑक्सिन/जिबरेलिन के प्रभावों का प्रतिरोध कर सकती है।
कृषि में पादप हार्मोन्स की भूमिका
- फल विलगन रोकना: कृत्रिम ऑक्सिन स्प्रे से फल गिराव कम।
- अनिषेकफलन: नींबू/संतरा/अंगूर में बीजरहित फल।
- बौने पादपों का दीर्घीकरण: जिबरेलिन से बोल्टिंग।
- दीर्घ-दिवसीय पौधों में पुष्पन: जिबरेलिन से अल्प दिवस में भी।
- शीर्ष प्रभाविता का प्रतिकार: साइटोकाइनिन से पार्श्व शाखाएँ।
- प्रकाश-संवेदी बीजों का अंकुरण: साइटोकाइनिन उपचार।
- बसन्तीकरण (Vernalisation): निम्न ताप उपचार से पुष्पन शीघ्र; संबंधित हार्मोन वर्नेलिन माना जाता है।
ऑक्सिन व जिबरेलिन में अंतर
ऑक्सिन | जिबरेलिन |
---|---|
शीर्ष प्रमुखता बढ़ाता है। | शीर्ष प्रमुखता पर उल्लेखनीय प्रभाव नहीं। |
अधिक सान्द्रता से जड़ वृद्धि रुक सकती है। | जड़ वृद्धि पर सामान्यतः विशेष प्रभाव नहीं। |
पुष्पन पर सामान्यतः प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं। | दीर्घ-दिवसीय पौधों में पुष्पन/बसन्तीकरण को प्रोत्साहन। |
बीज अंकुरण/प्रसुप्ति पर सीमित प्रभाव। | बीज अंकुरण तेज; सुप्ति तोड़ता है। |
त्वरित पुनरावृत्ति (Quick Revision)
- वृद्धि प्रवर्धक: ऑक्सिन, जिबरेलिन, साइटोकाइनिन
- वृद्धि निरोधक: एब्सिसिक अम्ल, इथाइलीन
- दीप्तिकालिता: SDP (तम्बाकू/सोयाबीन), LDP (चुकन्दर/मूली)
- बसन्तीकरण: निम्न ताप उपचार → शीघ्र पुष्पन
FAQ
प्र. पादपों में समन्वयन कैसे होता है?
उ. मुख्यतः रासायनिक समन्वयकों (हार्मोन्स) से—तंत्रिका तंत्र नहीं होता।
प्र. कौन-सा हार्मोन फल पकाता है?
उ. इथाइलीन।
प्र. 2,4-D का प्रयोग कहाँ?
उ. द्विबीजपत्री खरपतवार नियंत्रण व फल-विलगन रोकने में।
संबंधित पढ़ाई (Internal Links)
- रसायन विज्ञान: महत्वपूर्ण अवधारणाएँ (Post-1)
- रसायन विज्ञान: उन्नत विषय (Post-2)
- रसायन विज्ञान: आधारभूत सिद्धांत (Post-3)
- स्वार्ट्स अभिक्रिया (Swarts Reaction)
- हार्डी-शुल्जे नियम
हमारे Telegram ग्रुप से जुड़ें: Vidya Saar / Upboardclasses (Join)
0 Comments