पवन-दूतिका पद्यांश व्याख्या | 'थोड़ा आगे सरस रव का धाम...' व्याख्या (Class 9 Hindi):-
पद्यांश:
3. थोड़ा आगे सरस रव का धाम सत्पुष्पवाला।
अच्छे-अच्छे बहु द्रुम लतावान सौन्दर्यशाली।।
वृन्दाविपिन मन को मुग्धकारी मिलेगा।
आना जाना इस विपिन से मुह्यमाना न होना।।
जाते जाते अगर पथ में क्लान्त कोई दिखावे।
तो जा के सन्निकट उसकी क्लान्तियों को मिटाना।।
धीरे-धीरे परस करके गात उत्ताप खोना।
सद्गन्धों से श्रमित जन को हर्षितों सा बनाना।।
सन्दर्भ:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी पाठ्यपुस्तक ‘हिन्दी’ में संकलित अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित ‘पवन-दूतिका’ शीर्षक कविता से उद्धृत है।
प्रसंग:
इस पद्यांश में राधा मथुरा जा रही पवन-दूती को मार्ग में मिलने वाले मनोहारी दृश्यों से आकर्षित न होने, बल्कि थके-मांदे यात्रियों की सेवा कर उनकी क्लान्तियाँ दूर करने का संदेश देती हैं।
व्याख्या:
राधा कहती हैं कि थोड़ा आगे जाने पर तुम्हें वृन्दावन मिलेगा, जो बहुत ही सुंदर और पुष्पों से भरा हुआ स्थान है। वहां सुन्दर वृक्ष, लताएँ और चित्ताकर्षक दृश्य मिलेंगे लेकिन इन सबसे मोहित न होकर अपना लक्ष्य याद रखना। यदि किसी थके-हारे पथिक को देखो तो उसके पास जाकर उसे शीतलता देना, उसकी थकावट दूर करना और अपनी सुगंध से उसे प्रफुल्लित कर देना।
काव्यगत सौन्दर्य:
- भाषा: खड़ीबोली
- शैली: प्रबन्ध
- छंद: मन्दाक्रान्ता
- अलंकार: अनुप्रास, पुनरुक्तिप्रकाश
- गुण: प्रसाद
- शब्द शक्ति: अभिधा
भाव-साम्य (संबंधित उद्धरण):
“माना जंगल प्यारा है गहरा है
और घना है,
पर हाय! मुझे अपने वादे को पूरा भी करना है।”
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