हार्डी-शुल्जे नियम (Hardy Schulze Rule in Hindi):-
जर्मनी के दो वैज्ञानिक हार्डी (Hardy) एवं शुल्जे (Schulze) ने कोलॉइडी विलयनों में विद्युत-अपघट्यों के प्रभावों का अध्ययन कर एक नियम प्रतिपादित किया, जिसे हार्डी-शुल्जे नियम कहते है।
हार्डी-शुल्जे नियम की परिभाषा:
"कोलॉइडी सॉल को स्कन्दित करने की क्षमता उस विद्युत-अपघट्य में उपस्थित विपरीत आवेश वाले आयन की संयोजकता पर निर्भर करती है। संयोजकता जितनी अधिक होगी, स्कन्दन क्षमता भी उतनी अधिक होगी।"
उदाहरण:
- यदि सॉल धनावेशित (Positive Sol) है, तो ऋणायन (Anion) उसकी स्कन्दन करेगा।
- यदि सॉल ऋणावेशित (Negative Sol) है, तो धनायन (Cation) स्कन्दन करेगा।
स्कन्दन क्षमता का क्रम (ऋणायन हेतु):
PO₄³⁻ > SO₄²⁻ > Cl⁻
स्कन्दन क्षमता का क्रम (धनायन हेतु):
Al³⁺ > Ba²⁺ > Na⁺
नोट: सममोलर विद्युत अपघटकों की स्थिति में प्रबल विद्युत अपघट्य की स्कन्दन क्षमता दुर्बल अपघट्य की अपेक्षा अधिक होती है।
उदाहरण: 0.1 M NaCl > 0.1 M CH₃COOH
स्कन्दन मान या ऊर्णन मान (Coagulation Value or Flocculation Value)
परिभाषा:
"किसी विद्युत-अपघट्य का वह न्यूनतम सान्द्रण, जो किसी कोलॉइडी विलयन को स्कन्दित करने हेतु आवश्यक होता है, उसे स्कन्दन या ऊर्णन मान कहते हैं।"
या
"1 लीटर कोलॉइडी विलयन को स्कन्दित करने हेतु विद्युत अपघट्य के मिलीमोलों की संख्या ही उसका ऊर्णन मान कहलाता है।"
स्कन्दन मान ∝ 1 / स्कन्दन क्षमता
इसे मिलीमोल/लीटर में व्यक्त किया जाता है।
निष्कर्ष:
- संयोजकता जितनी अधिक होगी, स्कन्दन क्षमता उतनी अधिक होगी।
- स्कन्दन मान जितना कम होगा, स्कन्दन उतना प्रभावी होगा।
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