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रसखान का जीवन परिचय | जन्म, रचनाएँ, भक्ति और मृत्यु की पूरी जानकारी (2025)

रसखान का जीवन परिचय (Raskhan Ka Jivan Parichay)

कविवर रसखान सच्चे भावुक हृदय और श्रीकृष्ण के दीवाने भक्त कवि थे। वे रस की खान थे, और उनकी कविताएँ कोमलकांत पदावली से युक्त रसमयी और भक्तिमयी थीं। रसखान हिंदी के उन महान कवियों में गिने जाते हैं जिन्होंने मुस्लिम होते हुए भी श्रीकृष्ण की अनन्य भक्ति की।

रसखान का संक्षिप्त जीवन परिचय:

  • पूरा नाम: सैयद इब्राहिम रसखान
  • उपनाम: रसखान
  • जन्म: सन् 1558 ई. (दिल्ली)
  • मृत्यु: सन् 1618 ई. (वृंदावन)
  • भाषा: ब्रजभाषा
  • प्रसिद्ध रचनाएं: प्रेमवाटिका, सुजान-रसखान

रसखान का जीवन और भक्ति:

रसखान का जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ था लेकिन वे वैष्णव भक्ति से इतने प्रभावित हुए कि श्रीकृष्ण के भक्त बन गए। एक जनश्रुति के अनुसार पहले वे एक स्त्री के प्रेम में पड़े थे, लेकिन बाद में उनका लौकिक प्रेम अलौकिक प्रेम में बदल गया।

गोवर्धन धाम में रहकर वे श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हो गए और अपनी पूरी जिंदगी उनके प्रेम में समर्पित कर दी। उन्होंने स्वयं कहा:

काहे को सोचु करै रसखानि, कहा करिहै रबिनंद विचारों।
कौन की संक परी है जु, माखन चाखनवारो है राखनहरो ।।

रसखान की रचनाएँ:

  • प्रेमवाटिका: इसमें केवल 25 दोहे हैं जो प्रेम और भक्ति रस से परिपूर्ण हैं।
  • सुजान-रसखान: यह 139 छंदों का संग्रह है जिनमें दोहा, सवैया, कवित्त, सोरठा आदि हैं।
  • अन्य: 'रसखान शतक' और 'राग रत्नाकर' को भी उनकी रचनाएं माना जाता है।

FAQs: रसखान से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न

  • Q. रसखान की मृत्यु कहाँ हुई?
    Ans: वृंदावन में, सन् 1618 ई. में।
  • Q. रसखान का पूरा नाम क्या था?
    Ans: सैयद इब्राहिम रसखान।
  • Q. रसखान की प्रमुख रचनाएं कौन सी हैं?
    Ans: प्रेमवाटिका, सुजान-रसखान, रसखान शतक, राग रत्नाकर।

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टैग: रसखान का जीवन परिचय, Raskhan biography in Hindi, रसखान की रचनाएँ, कृष्ण भक्त कवि

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