Header Ads Widget

हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय | शिक्षा, रचनाएँ, पुरस्कार और साहित्यिक योगदान

हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय | प्रमुख रचनाएं, शिक्षा, पुरस्कार

पूरा नाम: आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
बचपन का नाम: वैद्यनाथ द्विवेदी
जन्म तिथि और स्थान: 19 अगस्त 1907, बलिया, उत्तर प्रदेश
मृत्यु: 19 मई 1979, दिल्ली
पिता का नाम: अनमोल द्विवेदी
माता का नाम: ज्योतिष्मती
पत्नी का नाम: भगवती देवी
व्यवसाय: लेखक, आलोचक, प्राध्यापक

🔰 प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म श्रावण शुक्ल एकादशी संवत् 1964बलिया जिले में हुआ। इनके पिता पंडित अनमोल द्विवेदी संस्कृत के विद्वान थे। इनका बचपन का नाम वैद्यनाथ द्विवेदी था।

इन्होंने प्राथमिक शिक्षा गांव से प्राप्त की और 1920 में बसरिकापुर विद्यालय से प्रथम श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद पराशर ब्रह्मचर्य आश्रम से संस्कृत का अध्ययन प्रारंभ किया। 1923 में रणवीर संस्कृत पाठशाला काशी में प्रवेश लिया और 1927 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा पूर्ण की।

1929 में शास्त्री की परीक्षा पास की और 1930 में ज्योतिष विषय में आचार्य की उपाधि प्राप्त की।

🎓 शैक्षणिक और साहित्यिक जीवन

8 नवम्बर 1930 को उन्होंने शांति निकेतन में आचार्य क्षितिमोहन सेन और रवींद्रनाथ टैगोर के मार्गदर्शन में हिंदी का गहन अध्ययन आरंभ किया। वे 20 वर्षों तक वहां रहे।

1950 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष बने। 1960 में वे पंजाब विश्वविद्यालय चले गए और वहां भी हिंदी विभागाध्यक्ष रहे। 1967 में वे पुनः काशी हिन्दू विश्वविद्यालय लौटे और रेक्टर पद पर कार्यरत रहे।

1972 से वे उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ के उपाध्यक्ष बने और 1979 में ब्रेन ट्यूमर के कारण उनका निधन हो गया।

📚 प्रमुख रचनाएं

  • आलोक पर्व
  • कबीर
  • चारुचंद्रलेख
  • अशोक के फूल
  • बाणभट्ट की आत्मकथा
  • पुनर्नवा
  • नक़्क़ाशी के मैदान में
  • विचार और समीक्षा
  • हिंदी साहित्य की भूमिका
  • संकेत

🎖️ सम्मान और पुरस्कार

  • 1957 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित
  • 'आलोक पर्व' के लिए 1973 में साहित्य अकादमी पुरस्कार
  • लखनऊ विश्वविद्यालय से Doctor of Letters की उपाधि

🔚 निधन

19 मई 1979 को ब्रेन ट्यूमर के कारण दिल्ली में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का निधन हो गया। वे आज भी हिंदी साहित्य के महान स्तंभों में गिने जाते हैं।

👉 Telegram पर पढ़ें: Join करें हमारे टेलीग्राम चैनल से

Post a Comment

0 Comments