📘 Class 9 Hindi Chapter 12: अच्छा होता एवं सितार-संगीत की रात
लेखक: केदारनाथ अग्रवाल
Board: यूपी बोर्ड / CBSE
विषय: संदर्भ, प्रसंग, व्याख्या और काव्यगत सौंदर्य सहित नोट्स
🧠 कविता 1: अच्छा होता
✍️ मूल पंक्तियाँ:
अच्छा होता अगर आदमी आदमी के लिए परार्थी― पक्का― और नियति का सच्चा होता न स्वार्थ का चहबच्चा― न दगैल-दागी न चरित्र का कच्चा होता।
🔹 संदर्भ
प्रस्तुत काव्य-पंक्तियाँ केदारनाथ अग्रवाल द्वारा रचित ‘अच्छा होता’ नामक कविता से ली गई हैं।
🔹 प्रसंग
इन पंक्तियों में कवि समाज में आदर्श मानव के गुणों की कल्पना करता है। वह एक ऐसे इंसान की कल्पना करता है जो परार्थी हो, स्वार्थी न हो और उसका चरित्र उज्ज्वल हो।
🔹 व्याख्या
कवि कहता है कि यह समाज के लिए कितना अच्छा होता अगर आदमी, आदमी के लिए कार्य करता। उसका जीवन स्वार्थ से परे होता, वह चरित्रवान और सच्चा होता। कवि की कल्पना एक ऐसे समाज की है जो निष्कलंक हो, जिसमें लोगों का व्यवहार परोपकार और नैतिकता से भरा हो।
🔹 काव्यगत सौंदर्य
- भाषा: सहज, सरल और बोधगम्य
- सामाजिक चेतना से ओतप्रोत
- नैतिक मूल्यों की स्थापना
✍️ अगली पंक्तियाँ:
अच्छा होता अगर आदमी आदमी के लिए दिलदार― दिलेर― और हृदय की थाती होता, न ईमान का घाती― ठगैत ठाकुर न मौत का बराती होता।
🔹 प्रसंग और व्याख्या
कवि कहता है कि अगर इंसान दूसरों के सुख-दुख में भागीदार होता, दिलेर और सच्चा होता, तो समाज में डर, ठगी और असुरक्षा नहीं होती। आज का आदमी ईमान बेचकर हिंसा की ओर बढ़ रहा है, जो दुखद है।
🎶 कविता 2: सितार-संगीत की रात
✍️ मूल पंक्तियाँ:
आग के ओठ बोलते हैं सितार के बोल, खुलती चली जाती हैं शहद की पंखुरियाँ, चूमती अँगुलियों के नृत्य पर, राग-पर-राग करते हैं किलोल, रात के खुले वक्ष पर, चन्द्रमा के साथ।
🔹 संदर्भ
प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘सितार-संगीत की रात’ कविता से ली गई हैं।
🔹 प्रसंग और व्याख्या
कवि सितार के संगीत की तुलना चाँदनी रात और मधुर ध्वनि से करता है। अँगुलियाँ सितार पर जैसे नृत्य करती हों, वैसी ध्वनि निकलती है जो मन को आनंदित कर देती है।
✍️ अगली पंक्तियाँ:
शताब्दियाँ झाँकती हैं अनंत की खिड़कियों से, संगीत के समारोह में कौमार्य बरसता है, हर्ष का हंस दूध पर तैरता है, जिस पर सवार भूमि की सरस्वती काव्य-लोक में विचरण करती है।
🔹 व्याख्या
इन पंक्तियों में कवि कहता है कि संगीत अनंत से जुड़ता है, उसमें एक दिव्यता है। जैसे सरस्वती खुद हंस पर बैठकर संगीत के लोक में विचरण कर रही हों।
📌 निष्कर्ष
केदारनाथ अग्रवाल की ये दोनों कविताएँ समाज और संस्कृति की सुंदर झलक प्रस्तुत करती हैं — एक तरफ आदर्श समाज की कल्पना और दूसरी तरफ कला (संगीत) का सौंदर्य।
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