Class 9 Hindi Chapter 12 - अच्छा होता और सितार-संगीत की रात
कवि: केदारनाथ अग्रवाल
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कविता: अच्छा होता
1. कविता अंश:
अच्छा होता अगर आदमी आदमी के लिए परार्थी― पक्का― और नियति का सच्चा होता न स्वार्थ का चहबच्चा― न दगैल-दागी न चरित्र का कच्चा होता।
सन्दर्भ:
प्रस्तुत काव्य-पंक्तियाँ केदारनाथ अग्रवाल द्वारा रचित 'अच्छा होता' नामक कविता से उद्धृत हैं।
प्रसंग:
इन पंक्तियों में कवि आदमी को एक अच्छा इंसान बनाने की इच्छा करता है जो दूसरों के लिए जिए।
व्याख्या:
कवि कहता है कि यदि इंसान दूसरों के लिए जीने वाला, सच्चा और निःस्वार्थ होता, तो समाज कितना बेहतर होता। उसे न तो चरित्रहीन होना चाहिए, न ही स्वार्थी या धोखेबाज़।
काव्यगत सौन्दर्य:
- भाषा: सरल एवं व्यावहारिक खड़ी बोली
- शब्द शक्ति: लक्षणा
- रस: शान्त
- अलंकार: अनुप्रास, पुनरुक्ति
कविता: सितार-संगीत की रात
1. कविता अंश:
रात, सितार और संगीत मिलकर बनती वह मधुर क्षण जिसमें उतर आती सरस्वती धरती पर...
सन्दर्भ:
यह पंक्तियाँ केदारनाथ अग्रवाल की 'सितार-संगीत की रात' कविता से ली गई हैं।
प्रसंग:
कवि संगीत की उस रात्रि का चित्रण करता है जब सितार की मधुर ध्वनि वातावरण को आध्यात्मिक बना देती है।
व्याख्या:
इन पंक्तियों में कवि ने बताया है कि रात्रि, सितार और संगीत मिलकर ऐसा सौंदर्य पैदा करते हैं, मानो स्वयं सरस्वती धरती पर उतर आई हों। यह मन और आत्मा दोनों को तृप्त करने वाला क्षण है।
काव्यगत सौन्दर्य:
- भाषा: भावप्रवण खड़ी बोली
- शब्द शक्ति: व्यंजना
- रस: शृंगार एवं शान्त
- अलंकार: रूपक, अनुप्रास
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