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प्रो० जी० सुन्दर रेड्डी का जीवन परिचय तथा उनकी रचनाएं

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 Class 12th Hindi lesson 6 प्रो० जी० सुन्दर रेड्डी का जीवन परिचय तथा उनकी रचनाएं:–



लेखक : एक संक्षिप्त परिचय


जन्म-10 अप्रैल, सन् 1919 ई01


जन्म स्थान—बेल्लूर (आंध्र प्रदेश)।


• आंध्र वि०वि० में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रहे। • व्यक्तित्व-प्रभावशाली ।


प्रारम्भिक शिक्षा-संस्कृत एवं तेलुगु से।


लेखन विधा : हिन्दी और तेलुगु भाषा साहित्य |


भाषा : विषय और भाव के अनुरूप।


शैली विवेचनात्मक, गवेषणात्मक, आलोचनात्मक ।


प्रमुख रचनाएँ- साहित्य और समाज, मेरे विचार, दक्षिण की भाषाएँ और उनका साहित्य आदि।

मृत्यु - 30 मार्च, सन् 2005 ई०।


प्रोफेसर रेड्डी का जन्म 10 अप्रैल, सन् 1919 ई० की आन्ध्र प्रदेश के बेल्लूर जनपद के बहुलपति नामक ग्राम में हुआ बार से श्रेष्ठ विचारक, समालोचक एवं निबंधकार है। इनका व्यक्तित्व और कृतित्व अत्यन्त प्रभावशाली है। कई वर्षों तक ये ना विश्व विद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रहे हैं। ये वहाँ के स्नातकोत्तर अध्ययन एवं अनुसंधान विभाग के अध्यक्ष एवं प्रोफेसर भी रहे हैं। इनके निर्देशन में हिन्दी और तेलुगु साहित्य के विविध प्रश्नों के तुलनात्मक अध्ययन पर शोध कार्य भी हुआ है। इनका निधन 30 मार्च, सन् 2005 ई० को हो गया।


अब तक रेड्डी जी के आठ ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं। इनकी


1. साहित्य और समाज,
2. मेरे विचार,
3. हिन्दी और तेलुगु एक तुलनात्मक अध्ययन,
4. दक्षिण की भाषाएँ और उनका साहित्य,
5. वैचारिकी, शोध और बोध,
6. बेलगु दारुल (तेलुगु),

7. लांग्वेज प्रोबलम इन इंडिया) (संपादित अंग्रेजी ग्रंथ) आदि कृतियों से साहित्य संसार सुपरिचित है। इनके अतिरिक्त हिन्दी, तेलुगु तथा पत्र-पत्रिकाओं में कई निबंध प्रकाशित हुए हैं। इनके प्रत्येक निबंध में इनका मानवतावादी दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है।

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