Class 12th Hindi lesson 4 डॉ० हजारीप्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय तथा उनकी रचनाएं:–
लेखक : एक संक्षिप्त परिचय
• जन्म - 19 अगस्त, सन् 1907 ई०।
• जन्म-स्थान- दुबे का छपरा (बलिया)।
• पिता-अनमोल द्विवेदी ।
• माता— ज्योतिषमती।
• बचपन का नाम-वैद्यनाथ द्विवेदी । 1
• अनेक महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहे। 1
• मृत्यु -- 19 मई, सन् 1979 ई० ।
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का जन्म 19 अगस्त, सन् 1907 ई0 (श्रावण शुक्ल पक्ष, एकादशी, संवत् 1964) को बलिया जिले के 'दुबे का छपरा गाँव के एक प्रतिष्ठित सरयूपारी ब्राह्मण कुल में हुआ था। इनके पिता का नाम अनमोल द्विवेदी था। माता ज्योतिषमती भी प्रसिद्ध पण्डित कुल की कन्या थी। इस सह बालक हजारीप्रसाद को संस्कृत और ज्योतिष की शिक्षा उत्तराधिकार में प्राप्त हुई। सन् 1930 ई० में इन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से ज्योतिषाचार्य की उपाधि प्राप्त की। इनकी प्रतिभा का विशेष स्फुरण कविगुरु रवीन्द्रनाथ की विश्वविख्यात् संस्था शान्तिनिकेतन में हुआ, जहाँ ये सन् 1940 से 1950 तक हिन्दी भवन के निदेशक के रूप में रहे। वहीं इनके विस्तृत स्वाध्याय और सृजन का शिलान्यास हुआ। सन् 1949 में लखनऊ विश्वविद्यालय ने इन्हें डी० लिट् की उपाधि से सम्मानित किया। सन् 1950 में ये काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर और अध्यक्ष नियुक्त हुए। सन् 1957 में इन्हें पद्म भूषण की उपाधि से विभूषित किया गया। सन् 1958 में ये राष्ट्रीय ग्रंथ न्यास के सदस्य बने। ये कई वर्षों तक काशी नागरी प्रचारिणी सभा के उपसभापति, खोज विभाग के निर्देशक तथा 'नागरी प्रचारिणी पत्रिका' के सम्पादक रहे।
इसके बाद सन् 1960 से 1966 तक ये पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़ में हिन्दी विभाग के प्रोफेसर और अध्यक्ष रहे। तत्पश्चात् इन्होंने भारत सरकार की हिन्दी सम्बन्धी विविध योजनाओं का दायित्व ग्रहण किया। 19 मई, 1979 ई० को इनका निधन हो गया।
आचार्य द्विवेदी का साहित्य बहुत विस्तृत है। कविता और नाटक के क्षेत्र में इन्होंने प्रवेश नहीं किया। इनकी कृतियाँ वर्गीकरण के आधार पर निम्नलिखित हैं-
इतिहास- हिन्दी साहित्य, हिन्दी साहित्य का आदिकाल, हिन्दी साहित्य की भूमिका ।
निबंध संग्रह- अशोक के फूल, कुटज, विचार-प्रवाह, विचार और वितर्क, कल्पलता, आलोक पर्व ।
साहित्यिक, शास्त्रीय और आलोचनात्मक ग्रंथ – कालिदास की लालित्य योजना, सूरदास, कबीर, साहित्य सहचर, साहित्य का मर्म
उपन्यास- बाणभट्ट की आत्मकथा, अनामदास का पोथा, चारुचन्द्र लेख और पुनर्नवा।
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