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मंत्र परम लघु जासु बस, विधि हरि हर सुर सर्व। महामत्त गजराज कहूं, बस कर अंकुश खर्व ।।

 मंत्र परम लघु जासु बस, विधि हरि हर सुर सर्व। 

महामत्त गजराज कहूं, बस कर अंकुश खर्व ।।

संदर्भ:–

 प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्यपुस्तक के खंडकाव्य के धनुष भंग शीर्षक से उद्धृत है यह कवि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्री रामचरितमानस के बालकांड से लिया गया है।

प्रसंग :—

       प्रस्तुत दोहे में श्रीराम की तेजस्विता को तथ्यपरक सिद्ध किया गया है यहां मंत्र और अंकुश द्वारा सभी देवताओं और हाथी को नियंत्रित किए जाने का वर्णन है

 व्याख्या:— 

          तुलसीदास जी कहते हैं कि सीताजी की माता जय श्री राम को छोटा समझ कर उनके प्रति अपनी शंका प्रकट करती हैं ,तब एक सखी सीताजी की माता से कहती है कि हे रानी! जिस प्रकार ओम का मंत्र अत्यन्त छोटा होता है परंतु ब्रह्मा, विष्णु ,शिव और समस्त देवगण उनके बस में हैं, उसी प्रकार महान मदमस्त हाथी को वश में करने वाला अंकुश भी बहुत छोटा सा होता है अतः तुम श्रीराम को छोटा मत समझो वह उम्र में छोटे क्यों ना हो, तुम उनकी कोमलता पर मत जाओ वह अवश्य ही धनुष तोड़ देंगे।


 काव्य गत सौंदर्य:–

 भाषा –अवधी।      शैली –प्रबंध और उदाहरण

 गुड प्रसाद रस श्रृंगार 

छंद दोहा शब्द शक्ति आबिदा और लक्ष्णा 

अलंकार अनुप्रास अलंकार

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