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प्रकाश क्या है,इनके गुण तथा इनके नियम

प्रकाश क्या है,इनके गुण तथा इनके नियम :–


प्रकाश :—

        प्रकाश ऊर्जा का वह रूप है जिसकी सहायता से हमें वस्तुएं दिखाई देती हैं।


दीप्त प्रकाश स्त्रोत :—

                 वह प्रकाश स्त्रोत जो स्वयं प्रकाश उत्पन्न करते हैं उन्हें दीप्त प्रकाश स्त्रोत कहते हैं जैसे, सूर्य, तारे, विद्युत बल्ब आदि।

अदिप्त प्रकाश स्त्रोत :—

                     वे प्रकाश स्त्रोत जो स्वयं प्रकाश उत्पन्न नहीं करते बल्कि दीप्त स्त्रोतों के प्रकाश को परिवर्तित कर प्रकाश देते हैं आदिप्त प्रकाश स्त्रोत कहलाते हैं जैसे, चंद्रमा , कांच आदि।


          प्रकाश के गुण :–

 1. प्रकाश स्वयं अदृश्य होता है परंतु इसकी उपस्थिति में वस्तुएं दिखाई देती हैं।

2. प्रकाश सरल रेखा में गमन करता है।

3. विभिन्न माध्यमों में प्रकाश की चाल भिन्न-भिन्न होती है निर्वात में प्रकाश की चाल 3×10⁸मीटर/सेकंड होती हैं।

4. प्रकाश की तरंगधैर्य 4000 A⁰ से 8000A⁰ तक होती हैं।


प्रकाश का परावर्तन:—

  जब प्रकाश किसी चिकनी और पलिस दार सतह पर आपतित होता है तो उसका अधिकांश भाग सतह से टकराकर उसी माध्यम में लौट जाता है प्रकाश के लौटने की घटना को प्रकाश का प्रवर्तन कहते हैं।


परावर्तन के नियम:—

1. प्रथम नियम:—

       आपतित किरण ,परावर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर डाला गया लंब तीनों एक ही पृष्ठ में होते हैं।

2. द्वितीय नियम:—

       आपतन कोण (i) सदैव परावर्तन कोण (r)के बराबर होता है।


दर्पण:—

  यदि किसी चिकने पारदर्शी माध्यम तल के एक पृष्ठ पर कलई कर के दूसरे पृष्ठ को प्रवर्तक पृष्ठ बना दिया जाए तो यह निकाय दर्पण कहलाता है।


समतल दर्पण:—

  ऐसा दर्पण जिन का परावर्तक पृष्ठ समतल होता है। समतल दर्पण कहलाते हैं।


समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब के गुण निम्नलिखित हैं:—


1. समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब सदैव आभासी तथा सीधा रहता है।

2. समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार के बराबर होता है।

3. h ऊंचाई के मनुष्य को अपना पूर्ण प्रतिबिंब देखने के लिए समतल दर्पण की आवश्यक न्यूनतम ऊंचाई h/2 होती है।

4. प्रतिबिंब दर्पण से उतनी ही दूरी पीछे बनता है जितनी कि वस्तु दर्पण के आगे होती है।


नोट:—

समतल दर्पण की फोकस दूरी अनंत होती है ।


 पार्श्व उत्कर्मण:—

            समतल दर्पण में पार्श्व बदलने की घटना को पार्श्व उत्कर्मण कहते हैं।

 



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