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वियोगी हरि का जीवन परिचय | प्रमुख कृतियाँ, साहित्यिक योगदान व आत्मकथा

वियोगी हरि का जीवन परिचय (Viyogi Hari Biography in Hindi)

वियोगी हरि हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि, निबंधकार, आलोचक और नाटककार थे। उनका वास्तविक नाम हरिप्रसाद द्विवेदी था। उनका जन्म सन् 1896मध्य प्रदेश के छतरपुर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

बाल्यकाल में ही पिता का निधन हो जाने के कारण उनका पालन-पोषण नाना के संरक्षण में हुआ। उन्होंने घर पर ही हिंदी और संस्कृत की प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की।

1915श्रीमती कमल कुमारी के कृपापात्र बने और उनके साथ देशभर के तीर्थस्थानों की यात्राएं कीं।

प्रयाग में उन्होंने हिंदी साहित्य सम्मेलन में सक्रिय भूमिका निभाई और 'सम्मेलन-पत्रिका' का संपादन किया। महारानी की मृत्यु के बाद उन्होंने संन्यास ग्रहण कर लिया और 'वियोगी हरि' नाम अपनाया।

बाद में वे हरिजन सेवक संघ से जुड़ गए और 'हरिजन सेवक' पत्र का संपादन किया। 9 मई 1988

📚 वियोगी हरि का साहित्यिक परिचय:

वियोगी हरि जी में बाल्यकाल से ही साहित्यिक प्रतिभा मौजूद थी। मात्र दस वर्ष की उम्र में उन्होंने सवैया और कुंडलिया लिखना शुरू कर दिया था। वे उच्च कोटि के कवि, निबंधकार, नाटककार, आलोचक और संपादक थे।

उनके निबंधों में देशप्रेम, समाज-सुधार और भावनात्मकता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। उन्होंने 'वीर सतसई' नामक काव्य के लिए 'मंगलाप्रसाद पुरस्कार' प्राप्त किया।

उन्होंने कई प्रमुख पत्रिकाओं जैसे सम्मेलन-पत्रिका, हरिजन सेवक आदि का संपादन किया। साथ ही उन्होंने संतों, योगियों की वाणियों का संकलन और बालोपयोगी साहित्य भी लिखा।

✍️ वियोगी हरि की प्रमुख कृतियाँ:

1️⃣ मौलिक रचनाएँ:

📝 काव्य:

  • प्रेम-पथिक
  • प्रेम-शतक
  • प्रेमांजलि
  • प्रेम-परिचय
  • मेवाड़-केसरी
  • अनुराग-वाटिका
  • वीर सतसई

🎭 नाटक:

  • वीर हरदौल
  • हरिजन सेवा
  • देशभक्त
  • छद्म योगिनी

📘 गद्य-काव्य:

  • तरंगिणी
  • आर्तनाद
  • प्रेम-योग प्रार्थना
  • श्रद्धाकण
  • भावना
  • पगली

📑 निबंध:

  • साहित्य-विहार (11 भावनात्मक निबंधों का संग्रह)

🖋 आत्मकथा:

  • मेरा जीवन-प्रवाह

📖 अन्य गद्य-ग्रंथ:

  • अरविंद की दिव्य वाणी
  • महात्मा गांधी का आदर्श
  • ठंडे छींटे
  • योगी मंदिर प्रवेश
  • विश्वकर्म
  • बुद्धवाणी
  • उद्यान

2️⃣ संपादित कृतियाँ:

  • सूर पदावली
  • बिहारी संग्रह
  • ब्रजमाधुरी-सार
  • संतवाणी
  • विनय-पत्रिका
  • पंचदशी
  • हिंदी गद्य रत्नमाला
  • तुलसी सूक्ति सुधा

🔚 निष्कर्ष:

वियोगी हरि का जीवन साहित्य, सेवा, त्याग और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। उन्होंने हिंदी साहित्य को भाव, विषय और दृष्टिकोण की एक नई दिशा प्रदान की।

📌 ऐसे ही साहित्यकारों के जीवन परिचय के लिए हमारे टेलीग्राम चैनल से जुड़ें।

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