जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय (Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay):-
जयशंकर प्रसाद हिन्दी साहित्य के छायावादी युग के प्रमुख स्तंभ और बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार थे। उनका जन्म सन् 1889काशी (वाराणसी)
के प्रसिद्ध वैश्य परिवार 'सुँघनी साहू' में हुआ था। उनके पिता का नाम देवीप्रसाद और पितामह का नाम शिवरत्न साहू था।प्रसाद जी का बचपन सुखमय था। वे धार्मिक यात्राओं में माता के साथ कई तीर्थों पर गए। लेकिन बाल्यकाल में ही माता-पिता दोनों का निधन हो गया, जिससे जीवन में संघर्ष प्रारंभ हुआ। पढ़ाई का प्रारंभ क्वीन्स कॉलेज से हुआ, लेकिन मन न लगने पर उन्होंने स्वाध्याय के माध्यम से अंग्रेज़ी, संस्कृत और साहित्य का ज्ञान अर्जित किया।
प्रसाद जी को बचपन से ही साहित्य में गहरी रुचि थी। उन्होंने कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक और निबंध सभी विधाओं में उत्कृष्ट रचनाएँ दीं। वे क्षय रोग15 नवम्बर 1937
47 वर्ष🎭 जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक योगदान:
जयशंकर प्रसाद हिन्दी साहित्य में छायावादी काव्यधारा के प्रवर्तक कवि थे। उन्होंने नाटक के क्षेत्र में भी क्रांति ला दी, जिससे 'प्रसाद युग' की स्थापना हुई।
📚 जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएँ:
✍️ काव्य:
- आँसू
- कामायनी (महाकाव्य)
- चित्राधार
- लहर
- झरना
📖 कहानी संग्रह:
- आँधी
- इन्द्रजाल
- छाया
- प्रतिध्वनि
📘 उपन्यास:
- तितली
- कंकाल
- इरावती
🎭 नाटक:
- सज्जन
- कल्याणी परिणय
- चन्द्रगुप्त
- स्कन्दगुप्त
- अजातशत्रु
- प्रायश्चित
- जनमेजय का नागयज्ञ
- विशाखा
- ध्रुवस्वामिनी
📝 निबंध:
- काव्य-कला एवं अन्य निबंध
🔚 निष्कर्ष:
जयशंकर प्रसाद हिन्दी साहित्य के उन अमर साहित्यकारों में हैं, जिनका काव्य, नाटक और गद्य रचनाएँ आने वाली पीढ़ियों के लिए सदैव प्रेरणा स्त्रोत रहेंगी। उनका ‘कामायनी’ जैसे महाकाव्य की रचना करना हिन्दी साहित्य की एक महान उपलब्धि है।
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