हाइगेन्स का तरंग सिद्धान्त | तरंगाग्र के प्रकार | परिभाषा
प्रश्न 1: हाइगेन्स का तरंग सिद्धान्त लिखिए। इस सिद्धान्त से प्रकाश का संचरण समझाइए एवं तरंगाग्र के प्रकार बताइए।
हाइगेन्स का तरंग सिद्धान्त (Wave Theory of Huygens): हाइगेन्स के अनुसार, किसी स्रोत से प्रकाश तरंगाग्र (Wavefront) के रूप में चलता है। तरंगाग्र का प्रत्येक बिंदु एक नए स्रोत की तरह कार्य करता है, जिससे द्वितीयक तरंगें निकलती हैं।
प्रकाश के संचरण को समझाने के लिए मान लिया जाता है कि कोई बिंदु स्रोत है, और किसी क्षण पर गोला संख्या 1 तरंगाग्र की स्थिति दर्शाता है। t
समय पश्चात, तरंगाग्र के प्रत्येक बिंदु को केंद्र मानकर ct
त्रिज्या का चाप लेकर गोले बनाए जाते हैं। इन सभी गोले को मिलाकर जो नया पृष्ठ बनता है, वह नया तरंगाग्र कहलाता है।
इस प्रकार तरंगाग्र माध्यम में आगे बढ़ते जाते हैं और अंततः समतल तरंगाग्र बन जाते हैं। तरंगाग्र के लंबवत खींची गई रेखा को किरण कहा जाता है और प्रकाश ऊर्जा इसी दिशा में संचरित होती है।
तरंगाग्र के प्रकार (Types of Wavefronts):
- गोलीय तरंगाग्र (Spherical Wavefront): यदि स्रोत बिंदु आकार का हो और दूरी कम हो तो प्राप्त तरंगाग्र गोलीय होते हैं।
- बेलनाकार तरंगाग्र (Cylindrical Wavefront): यदि स्रोत रेखा के रूप में हो और दूरी कम हो तो प्राप्त तरंगाग्र बेलनाकार होते हैं।
- समतल तरंगाग्र (Plane Wavefront): यदि स्रोत से दूरी बहुत अधिक हो तो तरंगाग्र समतल हो जाते हैं।
तरंगाग्र की परिभाषा (Definition of Wavefront):
तरंग गति में तरंगाग्र ऐसे बिंदुओं का समूह होता है जो सभी समान कला (phase) में होते हैं।
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