डॉप्लर प्रभाव (Doppler Effect) एवं व्यतिकरण (Interference)
प्रश्न 1: डॉप्लर प्रभाव किसे कहते हैं? आवृति में परिवर्तन का सूत्र दीजिए। अभिरक्त और नीला विस्थापन समझाइए।
डॉप्लर प्रभाव (Doppler Effect): यदि प्रकाश स्त्रोत अथवा प्रेक्षक गतिशील है तो प्रेक्षक को स्त्रोत की आवृत्ति एवं तरंगदैर्ध्य परिवर्तित प्रकट होते हैं। इस घटना को डॉप्लर प्रभाव कहते हैं। तरंगदैर्ध्य अथवा आवृत्ति में होने वाला यह परिवर्तन डॉप्लर विस्थापन कहलाता है।
अभिरक्त विस्थापन (Red Shift):
यदि कोई तारा, ग्रह अथवा निहारिका पृथ्वी से दूर जा रही है, तो प्रेक्षित प्रकाश की आवृत्ति में कमी तथा तरंगदैर्ध्य में वृद्धि हो जाती है। यह विस्थापन लाल रंग की ओर होता है, जिसे अभिरक्त विस्थापन कहते हैं।
नीला विस्थापन (Blue Shift):
यदि कोई तारा, ग्रह अथवा निहारिका पृथ्वी के नजदीक आ रही है, तो प्रेक्षित प्रकाश की आवृत्ति में वृद्धि तथा तरंगदैर्ध्य में कमी हो जाती है। यह विस्थापन नीले रंग की ओर होता है, जिसे नीला विस्थापन कहते हैं।
प्रश्न 2: व्यतिकरण किसे कहते हैं? इसकी शर्तें लिखिए।
व्यतिकरण (Interference): जब अध्यारोपण की प्रक्रिया में किसी बिंदु पर परिणामस्वरूप विस्थापन अत्यधिक या न्यूनतम हो जाता है, तो उस घटना को व्यतिकरण कहते हैं।
व्यतिकरण की शर्तें:
- दोनों स्रोत कला-संबद्ध होने चाहिए।
- दोनों तरंगों की तरंगदैर्ध्य समान होनी चाहिए।
- दोनों तरंगों के आयाम (Amplitude) भी समान होने चाहिए ताकि व्यतिकरण स्पष्ट दिखे।
कला-संबद्धता: यदि दो स्रोतों से प्राप्त तरंगों के बीच कलान्तर समय के साथ एक समान रहता है, तो वे कला-संबद्ध कहलाते हैं।
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