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शॉट्की एवं फ्रेंकेल दोष: परिभाषा, लक्षण, उदाहरण व अंतर | Solid State Defects in Hindi

शॉट्की दोष एवं फ्रेंकेल दोष: परिभाषा, उदाहरण, लक्षण एवं विशेषताएँ:-


1. शॉट्की दोष (Schottky Defect)



जब क्रिस्टल में धनायन और ऋणायन समान संख्या में अपने स्थानों से लुप्त हो जाते हैं, तो जो रिक्त स्थान उत्पन्न होते हैं, उसे शॉट्की दोष कहते हैं।

इसकी खोज वाल्टर हरमान शॉट्की ने सन् 1930 में की थी। यह दोष विशेष रूप से उच्च आयनिक यौगिकों में पाया जाता है, जिनकी समन्वय संख्या अधिक होती है और धनायन-ऋणायन का आकार लगभग समान

उदाहरण: NaCl, KCl, CaCl₂ आदि।

शॉट्की दोष के प्रभाव:

  • (a) चूंकि धनायन व ऋणायन समान संख्या में हटते हैं, इसलिए क्रिस्टल विद्युत उदासीन रहता है।
  • (b) कुल आयनों की संख्या कम होने से घनत्व घटता है।
  • (c) उत्पन्न रिक्तियाँ एक छिद्र युग्म (pair of holes) बनाती हैं जिन्हें शॉट्की युग्म
  • (d) आयनों के स्थानांतरण के कारण विद्युत चालकता

2. फ्रेंकेल दोष (Frenkel Defect)



जब क्रिस्टल का कोई आयन अपने जालक बिंदु को छोड़कर अंतराकाशी (interstitial) स्थान ग्रहण करता है, तो वह फ्रेंकेल दोष

इसकी खोज याकोव फ्रेंकेल ने सन् 1926 में की थी। यह दोष उन यौगिकों में होता है जिनकी समन्वय संख्या कम हो तथा धनायन और ऋणायन का आकार भिन्न

उदाहरण: AgCl, ZnS, AgBr, AgI, CaF₂ आदि।

फ्रेंकेल दोष के प्रभाव:

  • (a) छोटे आकार का धनायन अपने स्थान से हटकर अंतराकाश में चला जाता है, जिससे छिद्र बनता है
  • (b) यह दोष क्रिस्टल की स्थिरता कम
  • (c) घनत्व अपरिवर्तित
  • (d) परावैद्युतांक (Dielectric Constant) बढ़ जाता है क्योंकि समान आयन पास-पास आ जाते हैं।
  • (e) इसमें एक ओर शून्यता दोषअंतराल दोष

विस्थापन दोष (Dislocation Defect) भी कहते हैं।

🔍 शॉट्की व फ्रेंकेल दोष के बीच अंतर सारणी रूप में:

तत्व शॉट्की दोष फ्रेंकेल दोष
संख्या परिवर्तन कुल आयनों की संख्या घटती है कुल आयनों की संख्या नहीं बदलती
घनत्व घट जाता है अपरिवर्तित रहता है
आयन का स्थान स्थान से बाहर निकल जाता है स्थान छोड़कर अंतराल में चला जाता है
उदाहरण NaCl, KCl, CaCl₂ AgCl, ZnS, AgI

नोट: ये दोष ठोस अवस्था की चालकता, स्थायित्व व घनत्व

टैग्स: Schottky defect in hindi, Frenkel defect kya hota hai, solid state class 12, ठोस अवस्था दोष, crystal lattice defects

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