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परागण क्या है? परिभाषा, प्रकार, विधियाँ, उदाहरण | Pollination in Hindi for Class 10

परागण क्या है: परिभाषा, प्रकार, विधियाँ, उदाहरण | Pollination in Hindi

परागण की परिभाषा (Definition of Pollination)

परागण (Pollination) वह जैविक प्रक्रिया है जिसमें परागकोश के स्फुटन के बाद परागकण स्त्रीकेसर की वर्तिकाग्र तक पहुँचते हैं।

परागकण के प्रकार

  1. स्व-युग्मन (Autogamy)
  2. सजातपुष्पी परागण (Geitonogamy)
  3. पर-परागण (Xenogamy)

1. स्व-युग्मन (Autogamy)

जब परागकण उसी पुष्प की वर्तिकाग्र पर पहुँचते हैं तो इसे स्व-युग्मन कहा जाता है।

स्व-युग्मन के लिए आवश्यक शर्तें:

  • पुष्प द्विलिंगी होना चाहिए।
  • समकालिक परिपक्वता (Pollen & stigma साथ परिपक्व हो)।
  • पुकेसर और स्त्रीकेसर पास-पास होने चाहिए।

अनुन्मील्यता (Cleistogamy):

  • ऐसे पुष्प जो कभी नहीं खिलते उन्हें अनुन्मील पुष्प
  • इनमें सदैव स्व-परागण
  • उदाहरण: वायोला, ऑक्सेलिस, कोमेलीना

2. सजातपुष्पी परागण (Geitonogamy)

उसी पौधे के एक पुष्प से दूसरे पुष्प की वर्तिकाग्र पर परागकण जाना सजातपुष्पी परागण कहलाता है। आनुवंशिक रूप से यह स्व-परागण

स्व-परागण के लाभ:

  • परागकण का नुकसान नहीं होता।
  • शुद्ध वंश प्राप्त होता है।

हानियाँ:

  • नये लक्षण उत्पन्न नहीं होते।
  • रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।
  • अंत: प्रजनन अवसादन हो सकता है।

3. पर-परागण (Xenogamy)

जब परागकण किसी अन्य पौधे के पुष्प की वर्तिकाग्र पर जाते हैं तो यह पर-परागण

पर-परागण के माध्यम:

  • जल द्वारा परागण (Hydrophily)
  • वायु द्वारा परागण (Anemophily)

जल परागण (Hydrophily)

उदाहरण: वैलेस्नेरिया, ईट्रिला, जोस्टेरा

वैलेस्नेरिया में जल परागण:

मादा पुष्प जल की सतह पर आता है, नर पुष्प पानी में बहते हुए उसके संपर्क में आता है।

जोस्टेरा में समुद्री परागण:

नर पुष्प जल सतह के नीचे परागकण बहाकर मादा पुष्प से संपर्क करते हैं। इसे अधोजल परागण

जल परागण की विशेषताएँ:

  • परागकण लम्बे व फीते जैसे होते हैं।
  • पुष्प रंगहीन और गंधहीन होते हैं।
  • मकरंध नहीं होता।

वायु परागण (Anemophily)

उदाहरण: घास, मक्का

विशेषताएँ:

  • परागकण हल्के और सूखे होते हैं।
  • पुंकेसर लंबे और खुले रहते हैं।
  • वर्तिकाग्र चिपचिपे होते हैं ताकि पराग चिपक सकें।

निष्कर्ष:

परागण वनस्पति प्रजनन की एक अनिवार्य प्रक्रिया है जो स्व-परागण और पर-परागण के रूप में होती है। विभिन्न माध्यम जैसे जल, वायु, कीट इसके वाहक हो सकते हैं।


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Source: upboardclasses.in

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