प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED) और सौर सेल की परिभाषा, कार्यप्रणाली एवं उपयोग
प्रश्न 1: प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED) क्या है? परिपथ चित्र सहित कार्यप्रणाली समझाइए।
उत्तर: प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED - Light Emitting Diode) एक प्रकार का डायोड होता है जो अग्र बायस (Forward Bias) में जुड़ने पर प्रकाश उत्सर्जन करता है। इसे अत्यधिक मात्रा में अशुद्धि से अपमिश्रित करके बनाया जाता है और पारदर्शी आवरण में बंद किया जाता है ताकि प्रकाश बाहर निकल सके।
LED की कार्यप्रणाली:
- जब LED को अग्र बायस में जोड़ा जाता है, तो P भाग के कोटर और N भाग के इलेक्ट्रॉन संधि तल की ओर गति करते हैं।
- संधि तल पर पुनः संयोजन (recombination) होता है जिससे फोटॉन (photon) उत्पन्न होते हैं।
- यदि अर्धचालक का ऊर्जा अंतराल (Band Gap) 1.8 eV से अधिक है तो दृश्य प्रकाश उत्पन्न होता है।
LED के लाभ (Advantages of LED):
- कम वोल्टता व कम ऊर्जा पर कार्य करते हैं।
- तत्काल चालू होते हैं, प्रीहीटिंग की आवश्यकता नहीं।
- एक वर्णी (single color) प्रकाश उत्सर्जित करते हैं।
- जल्दी बंद/चालू किए जा सकते हैं।
- लंबी आयु और मजबूत होते हैं।
प्रश्न 2: सौर सेल क्या है? इसकी बनावट, कार्यप्रणाली और फोटो डायोड से अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: सौर सेल एक ऐसा अर्धचालक युक्ति (device) है जो सूर्य की रोशनी (विद्युतचुंबकीय विकिरण) को विद्युत ऊर्जा में बदल देता है। यह भी pn संधि डायोड की तरह होता है परंतु इसमें बाहरी बायस की आवश्यकता नहीं होती।
सौर सेल की कार्यप्रणाली:
- जनन (Generation): जब संधि तल पर सूर्य की रोशनी गिरती है तो फोटॉन के कारण इलेक्ट्रॉन-होल युग्म उत्पन्न होते हैं।
- पृथक्करण (Separation): ह्यासी (depletion) क्षेत्र का विद्युत क्षेत्र इलेक्ट्रॉनों को N की ओर और होल को P की ओर ले जाता है।
- संग्रह (Collection): इलेक्ट्रॉन अग्र संपर्क पर और होल पश्च संपर्क पर संग्रहित होते हैं जिससे EMF उत्पन्न होता है और परिपथ में धारा बहती है।
सौर सेल की विशेषताएँ:
- बाहरी बायस की आवश्यकता नहीं होती।
- संधि क्षेत्र का क्षेत्रफल अधिक रखा जाता है जिससे अधिक प्रकाश अवशोषित हो।
सौर सेल और फोटो डायोड में अंतर:
मापदंड | सौर सेल | फोटो डायोड |
---|---|---|
बायसिंग | बिना बाहरी बायस | पश्च बायस (Reverse Bias) |
प्रयोग | ऊर्जा उत्पादन | प्रकाश पहचान (light sensing) |
क्षेत्रफल | अधिक | कम |
सौर सेल में प्रयुक्त अर्धचालकों की विशेषताएँ:
- बैंड गैप 1 eV से 1.8 eV के बीच होना चाहिए।
- प्रकाश अवशोषण क्षमता अधिक होनी चाहिए।
- विद्युत चालकता अधिक होनी चाहिए।
- कच्चे माल की उपलब्धता अधिक व सस्ती होनी चाहिए।
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Sources: upboardclasses.in
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