निषेचन क्या है? परिभाषा, प्रकार, प्रक्रिया, और महत्व | Fertilization in Hindi
निषेचन (Fertilization) – नर तथा मादा युग्मकों के संयोजन की क्रिया को निषेचन कहा जाता है, जिससे द्विगुणित युग्मनज का निर्माण होता है।
🔹 निषेचन के प्रकार (Types of Fertilization)
- बाह्य निषेचन (External Fertilization) – जब निषेचन शरीर के बाहर होता है।
उदाहरण: मेढ़क, अस्थिल मछलियाँ। - आंतरिक निषेचन (Internal Fertilization) – जब निषेचन मादा के शरीर में होता है।
उदाहरण: मनुष्य, बंदर।
🔹 अनिषेक जनन (Non-Fertilization)
जब बिना निषेचन के ही जनन होता है, उसे अनिषेक जनन कहते हैं। इसमें अंड कोशिका नर युग्मक के बिना ही युग्मनज बना लेती है।
उदाहरण: मधुमक्खी, कुवार छिपकली, रोटिफेरा।
🔹 निषेचन की प्रक्रिया (Process of Fertilization)
- परागकणों का अंकुरण
- परागनली का विकास
- परागनली द्वारा बीजांड में प्रवेश
- युग्मकों का विसर्जन और संलयन
🧬 द्विनिषेचन (Double Fertilization)
आवृतबीजी पादपों में दो नर युग्मकों में से एक अंड कोशिका से संलयित होकर युग्मनज बनाता है जबकि दूसरा ध्रुवी केंद्रकों से मिलकर भ्रूणपोष का निर्माण करता है। इस प्रकार की प्रक्रिया को द्विनिषेचन कहते हैं।
🔹 निषेचन का महत्व (Importance of Fertilization)
- यह अनुवांशिक गुणों के संचरण के लिए आवश्यक है।
- युग्मनज के निर्माण द्वारा नए जीव की उत्पत्ति होती है।
- आवृतबीजी पौधों में बीज और फल का निर्माण होता है।
🔍 निषेचन से जुड़े तथ्य
- परागनली की लंबाई प्रजातियों पर निर्भर करती है।
- परागनली द्वारा दो नर युग्मक भ्रूणकोष तक पहुंचते हैं।
- परागनलिका की वृद्धि अग्र भाग (tip) से होती है।
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