हुण्ड का नियम क्या है? | Hund’s Rule in Hindi
परिचय:
परमाण्विक भौतिकी में जर्मनी के वैज्ञानिक फ्रेडरिक हुण्ड ने 1927 में कुछ नियमों का सेट प्रस्तुत किया जिन्हें हुण्ड का नियम
हुण्ड के नियम की परिभाषा:
समान ऊर्जा वाले उपकक्षकों (degenerate orbitals) में पहले प्रत्येक उपकक्षक में एक-एक इलेक्ट्रॉन भरा जाता है, उसके बाद उनका युग्मन (pairing) किया जाता है।
सरल शब्दों में:
“किसी भी उपकक्षक (p, d, f) के सभी ऑर्बिटल्स में पहले एक-एक इलेक्ट्रॉन भरे जाते हैं और फिर इलेक्ट्रॉनों का जोड़ा बनाया जाता है।”
हुण्ड के नियम के मुख्य बिंदु:
- यह नियम s कक्षा पर लागू नहीं होता क्योंकि s उपकक्षा में केवल एक कक्ष होता है।
- p उपकक्षा में 3 इलेक्ट्रॉन भरने के बाद युग्मन शुरू होता है।
- d उपकक्षा में 5 इलेक्ट्रॉन भरने के बाद युग्मन प्रारंभ होता है।
- f उपकक्षा में 7 इलेक्ट्रॉन भरने के बाद युग्मन प्रारंभ होता है।
- जिस उपकक्षक में अर्ध-पूर्ण या पूर्ण इलेक्ट्रॉन हों, वह उपकक्षक अधिक स्थिर होता है।
- हुण्ड का नियम अधिकतम बहुलकता का नियम (Maximum Multiplicity Rule) भी कहलाता है।
उदाहरण:
नीचे दिए गए चित्र में p-कक्षा में इलेक्ट्रॉन भरने के तीन संभावित तरीके दिखाए गए हैं:
- स्थिति 1 और 3: गलत हैं क्योंकि युग्मन पहले हो गया है।
- स्थिति 2: सही है क्योंकि पहले एक-एक इलेक्ट्रॉन सभी उपकक्षकों में भर गया है, फिर युग्मन होगा।
हुण्ड के नियम का महत्व:
इस नियम की सहायता से हम तत्वों जैसे Chromium (Cr) और Copper (Cu) आदि के असामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को सही ढंग से समझ सकते हैं। इसलिए यह परमाण्विक संरचना और ऑर्बिटल सिद्धांत के अध्ययन में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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