Header Ads Widget

"तू देखेगी जलद तन को..." पद की व्याख्या | श्रीकृष्ण का सौंदर्य वर्णन कक्षा 12 हिंदी कविता

6. तू देखेगी जलद तन को जा वहीं तद्गता हो।
होंगे लोने नयन उनके ज्योति-उत्कीर्णकारी।
मुद्रा होगी वर वदन की मूर्ति-सी सौम्यता की।
सीधे-सीधे वचन उनके सिक्त होंगे सुधा से।।।
नीले फूले कमल दल-सी गात की श्यामता है।
पीला प्यारा वसन कटि में पैन्हते हैं फबीला।
छूटी काली अलक मुख की कान्ति को है बढ़ाती।
सदवस्त्रों में नवल तन की फटती-सी प्रभा है।

📌 सन्दर्भ:

पूर्ववत्।

📌 प्रसंग:

प्रस्तुत पद्य में राधा पवन को दूत बनाकर मथुरा भेज रही हैं और वहाँ श्रीकृष्ण की पहचान बता रही हैं, जिससे पवन उन्हें पहचान सके।

📝 व्याख्या:

राधा पवन से कहती हैं कि जब तुम मथुरा पहुँचोगे तो वहाँ तुम्हें बादल के समान श्यामवर्ण वाले श्रीकृष्ण दिखेंगे। उन्हें देखकर तुम्हारा मन उन्हीं में तल्लीन हो जाएगा। उनके नेत्रों से तेजस्वी ज्योति निकलती प्रतीत होगी। उनका मुखमंडल इतना सुंदर और सौम्य होगा कि वह किसी सुंदर मूर्ति जैसा लगेगा। उनके शब्द अमृत जैसे होंगे जो सुनने वाले के हृदय को शीतलता प्रदान करेंगे।

श्रीकृष्ण का शरीर नीले खिले कमल के फूल के समान श्यामवर्ण का है। वे अपनी कमर में पीला वस्त्र (पीताम्बर) पहनते हैं, जो अत्यंत मनोहारी लगता है। उनके माथे से लटकती हुई काली अलक (लट) उनके मुख की शोभा को और बढ़ा देती है। उन्होंने सुंदर वस्त्र पहन रखे हैं और उनके नवयौवन शरीर से तेज निकलता प्रतीत होता है।

🎨 काव्यगत सौन्दर्य:

  • भाषा: खड़ीबोली
  • शैली: प्रबन्ध
  • छन्द: मन्दाक्रान्ता
  • अलंकार: उपमा, अनुप्रास, रूपक
  • गुण: प्रसाद गुण
  • शब्द शक्ति: अभिधा

🔖 टैग्स (Tags):

#श्रीकृष्ण #राधा #हिंदीकाव्य #काव्यव्याख्या #मन्दाक्रान्ता #कविताविश्लेषण #हिंदीसाहित्य #कविताचर्चा #शृंगाररस #ब्रह्मवाक्य

📢 हमारे टेलीग्राम ग्रुप से जुड़ें और ऐसे और पोस्ट पाएं।

Post a Comment

0 Comments