तुलसीदास का जीवन परिचय (Tulsidas Ka Jeevan Parichay) :-
गोस्वामी तुलसीदास का जन्म संवत् 1554 अर्थात् सन् 1497 ई. माना जाता है, परन्तु तुलसीदास के जन्म तिथि तथा जन्म स्थान के विषय में विद्वानों के विभिन्न मत हैं। डॉ. नगेन्द्र के हिन्दी साहित्य के इतिहास के अनुसार उनकी जन्म तिथि तथा जन्म स्थान निम्न हैं
(1). जन्म तिथि --
(अ) 1497 ई. , (ब) 1526 ई. , (स) 1532 ई.।
(2). जन्म स्थान --
(अ) राजापुर (बांदा), (ब) सोरों (एटा), (स) सूकर क्षेत्र (आजमगढ़)।
तुलसीदास के पिता का नाम आत्माराम दुबे और माँ का नाम हुलसी था। ये सरयूपारीण ब्राह्मण थे। कह जाता है कि मूल नक्षत्र में जन्म होने के कारण इनके माता-पिता ने इनका परित्याग कर दिया था। इस कारण इनका बचपन बड़े कष्ट में व्यतीत हुआ।
सौभाग्य से इनकी भेंट बाबा नरहरिदास से हो गयी। इन्होंने ही इनका पालन-पोषण तथा शिक्षा-दीक्षा की अतः तुलसीदास ने इनको अपना गुरु मान लिया। बड़े होने पर तुलसीदास काशी चले गये। वहाँ शेष सनातन नामक विद्वान् से वेदों, शास्त्रों, पुराणों व दर्शन का गहन अध्ययन किया। अध्ययन समाप्त करके ये अपन जन्मभूमि राजापुर ग्राम लौट आये।
अपने ग्राम में रहते हुए दीनबन्धु पाठक की सुन्दर कन्या रत्नावलि के साथ इनका विवाह हो गया। तुलसीदा ली गई। घर लौटने पर तुलसीदास ने जब अपनी पत्नी को नहीं पाया तो उसका वियोग सहन न कर सके और सीधे लगभग आधी रात के समय अपनी पत्नी के पास पहुंचे। पत्नी को उनका ये व्यवहार उचित नहीं लगा। उन्होंने तुलसी को फटकारा और कहा
"लाज न आयी आपको दौरे आयेहु साथ"
पत्नी की यह बात तुलसी के हृदय में ऐसी लगी कि उनका मन संसार से विमुख हो गया और वह संन्यासी होकर राम की भक्ति में लीन हो गये। उन्होंने संन्यास लेकर काशी, चित्रकूट और अयोध्या अदि तीर्थ स्थानों का भ्रमण किया। अब इनका जीवन तीर्थयात्रा, भजन, कीर्तन, सत्संग और राम कथा विवेचन में ही व्यतीत होता था। राम भक्ति और काव्य रचना में रत रहते हुए सन् 1623 ई. (सम्वत् 1680) में काशी के असी घाट पर तुलसीदास जी का स्वर्गवास हो गया।
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तुलसीदास का साहित्यिक परिचय :-
तुलसी भक्ति काल की सगुण काव्यधारा की रामाश्रयी शाखा के प्रमुख एवं प्रतिनिधि कवि हैं। इन्होंने रामचरितमानस, विनय पत्रिका जैसे लगभग 12 उत्कृष्ट ग्रन्थों की रचना करके हिन्दी साहित्य की जो अभिवृद्धि की है, वह अन्य किसी कवि ने नहीं की इनका 'रामचरित मानस' हिन्दी साहित्य का ही नहीं, अपितु, विश्व साहित्य का श्रेष्ठतम ग्रन्थ है। इसी एकमात्र ग्रन्थ के आधार पर तुलसीदास की गणना, विश्व साहित्य की महान विभूतियों में की जा सकती है। अपनी अद्वितीय काव्य-प्रतिभा, समन्वयवादी भावना और लोकमंगलकारी साधना के कारण तुलसी हिन्दी साहित्य में विशिष्ट स्थान रखते हैं। अत : तुलसी को हिन्दी साहित्य का सर्वश्रेष्ठ कवि माना जा सकता है।
तुलसीदास की प्रमुख रचनाएँ :-
तुलसी ने लगभग 12 ग्रन्थों की रचना की है।
उनके प्रमुख ग्रन्थ इस प्रकार हैं — रामचरित मानस, विनय पत्रिका, कवितावली, गीतावली, दोहावली, बरवै रामायण, पार्वती मंगल, जानकी मंगल, वैराग्य संदीपनी, रामलला नहछू आदि। इन ग्रन्थों में रामचरित मानस हिन्दी का ही नहीं अपितु विश्व का सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य है। समूचे भारत मैं यह ग्रन्थ बड़े सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। साहित्य के क्षेत्र में तो इसकी समता का अन्य कोई ग्रन्थ है ही नहीं। दूसरा श्रेष्ठ ग्रन्थ विनय पत्रिका है। इसमें तुलसी ने भगवान राम से अपने उद्धार के लिए विनय की है। इस प्रकार तुलसीदास हिन्दी साहित्य के अमर कवि माने गये हैं।
संक्षेप में तुलसीदास का जीवन परिचय:-
1. तुलसीदास की पत्नी कौन है?
इनका विवाह रत्नावली नाम की अति सुंदर कन्या से हुआ।
2. तुलसीदास का निधन कब हुआ?
1623
3. तुलसीदास की मृत्यु कब और कहां हुई?
अलग-अलग विद्वानों के अनुसार उनका जन्म क्रमश: 1497 ई./ 1511 ई./ या 1532 ई. में श्रावण मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था. हालांकि उनकी मृत्यु को लेकर सभी एकमत हैं। उनकी मृत्यु 1623 ई. है।
4. तुलसीदास का जन्म कहाँ हुआ?
राजापुर
5. तुलसीदास का जन्म कैसे हुआ?
गोस्वामी तुलसीदास का जन्म विक्रमी सम्वत् 1554 की श्रावण शुक्ल सप्तमी को बांदा जिले के राजापुर नामक ग्राम में हुआ था, इनके पिता का नाम श्री आत्मा राम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था। जन्म के समय ये रोए नहीं थे और इनके मुख से राम-नाम का साफ उच्चारण हुआ था।
6. तुलसीदास के माता पिता कौन थे?
पिता- आत्माराम दुबे और
माता- हुलसी दुबे
7. तुलसीदास का पिता का नाम क्या था?
तुलसीदास के माता पिता के संबंध में कोई ठोस जानकारी नहीं है। प्राप्त सामग्रियों और प्रमाणों के अनुसार उनके पिता का नाम आत्माराम दूबे था। किन्तु भविष्य पुराण में उनके पिता का नाम श्रीधर बताया गया है। रहीम के दोहे के आधार पर माता का नाम हुलसी बताया जाता है।
8. तुलसीदास का पूरा नाम क्या था?
रामबोला
9. तुलसीदास जी ने रामचरितमानस कब लिखी थी?
रामचरित मानस 15वीं शताब्दी के कवि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखा गया महाकाव्य है। जैसा तुलसीदास ने रामचरित मानस के बालकाण्ड में स्वयं लिखा है कि उन्होंने रामचरित मानस की रचना का आरम्भ अयोध्या में विक्रम संवत 1631 (1574 ईस्वी) को रामनवमी के दिन (मंगलवार) किया था।
10. गोस्वामी तुलसीदास के गुरु कौन थे?
वहीं विल्सन ने जगन्नाथ दास को उनका गुरू बताया है। इधर, सोरों से मिले तथ्यों के मुताबिक नरसिंह चैधरी तुलसीदास के गुरू थे, जबकि जार्ज ग्रियर्सन व अंतर्साक्ष्यों के अनुसार नरहरि दास उनके गुरू थे।
11. तुलसीदास की जाति क्या थी?
ब्राह्मण वंश में उत्पन्न होने के कारण कवि ने अपने विषय में "जायो कुल मंगन' लिखा है। तुलसीदास का जन्म अर्थहीन ब्राह्मण परिवार में हुआ था, जिसके पास जीविका का कोई ठोस आधार और साधन नहीं था। माता-पिता की स्नेहिल छाया भी सर पर से उठ जाने के बाद भिक्षाटन के लिए उन्हें विवश होना पड़ा।
12. रत्नावली किसकी पत्नी थी?
गोस्वामी तुलसीदास के जीवन के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन उनकी पत्नी रत्नावली के विषय कम ही बताया गया है।
13. तुलसीदास और रत्नावली का विवाह कब हुआ?
ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी, गुरुवार, संवत 1583 को 29 वर्ष की आयु में राजापुर से थोड़ी ही दूर यमुना के उस पार स्थित एक गाँव की अति सुन्दरी भारद्वाज गोत्र की कन्या रत्नावली के साथ उनका विवाह हुआ। तुलसीदास जी व रत्नावली दोनों का बहुत सुन्दर जोड़ा था, दोनों विद्वान थे।
14. तुलसीदास की भाषा कौन सी है?
हिन्दी, संस्कृत भाषा
15. तुलसीदास की कौन सी रचना जन जन में प्रसिद्ध है और क्यों?
जन-जन के कवि हैं गोस्वामी तुलसीदास महान ग्रंथ श्रीरामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने कुल 12 ग्रंथों की रचना की। सबसे अधिक ख्याति उनके द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस को मिली।
ऐसे संपूर्ण हुई श्रीरामचरित मानस संवत् 1631 को रामनवमी के दिन वैसा ही योग था जैसा त्रेतायुग में राम जन्म के समय था। उस दिन सुबह तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस की रचना प्रारंभ की। 2 वर्ष, 7 महीने व 26 दिन में ग्रंथ की समाप्ति हुई।
16. रामचरितमानस किसने लिखा है?
तुलसीदास
17. रामचरितमानस का पहला मुद्रित संस्करण कहाँ प्रकाशित हुआ?
श्री ग्राउस द्वारा मानस के अंग्रेजी अनुवाद की प्रस्तावना 'एशियाटिक सोसायटी जनरल' में 1876 में तथा 1877 में पश्चिमोत्तर शासन के सरकारी प्रेस से इसका पहला खंड (बालकांड) प्रकाशित हुआ।
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