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माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय तथा उनकी रचनाएं

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माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय (Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay) :-


माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म सन् 1889 में मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम नन्दलाल चतुर्वेदी था। जो एक सज्जन और मिलनसार पुरुष थे।नार्मल परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् इन्होंने अध्यापक के रूप में अपना जीवन प्रारम्भ किया और घर पर ही संस्कृत, बंगला, गुजराती, अंग्रेजी आदि का अध्ययन भी सुचारू रूप से करते रहे। अध्यापन कार्य में चतुर्वेदी जी का मन न लग सका। इसलिए उन्होंने अध्यापन कार्य को छोड़कर पत्रकार का जीवन अपना लिया। सन् 1913 ई. में सुप्रसिद्ध पत्रिका 'प्रभा' के सम्पादक हो गये और बाद में कर्मवीर का सम्पादन करने लगे। 

श्री गणेशशंकर विद्यार्थी की प्रेरणा तथा साहचर्य के कारण वे राष्ट्रीय आन्दोलनों में भाग लेने लगे। उसी समय गाँधीजी के सम्पर्क में आये। आन्दोलनों में भाग लेने के फलस्वरूप उन्हें कई बार जेल यात्रा भी करनी पड़ी। जेल-प्रवास में भी उनका लेखन कार्य बन्द नहीं हुआ। सन् 1943 में यह हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष चुने गये। इनके काव्य का मूल स्वर राष्ट्रीयतावादी होने के कारण इन्हें एक भारतीय आत्मा के उपनाम से भी जाना जाता हैं। 78 वर्ष की अवस्था में 30 जनवरी सन् 1968 में यह स्वर्गवास हो गया।

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माखनलाल चतुर्वेदी की रचनाएँ :-


चतुर्वेदी जी एक श्रेष्ठ पत्रकार, समर्थ निबन्धकार और सिद्धहस्त सम्पादक थे किन्तु उनकी प्रसिद्धि भावुक कवि के रूप में सर्वाधिक है। उनके काव्य ग्रन्थ निम्नलिखित हैं

हिमकिरीटनी, हिमतरंगिनी, माता, युग-चरण, समर्पण, वेणु लो गूंजें धरा। उनका 'साहित्य देवता' एक गद्य काव्य भी है।



माखनलाल चतुर्वेदी का साहित्यिक परिचय :-


माखनलाल चतुर्वेदी हिन्दी साहित्य में राष्ट्रीय भावनाओं के कवि हैं। भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन को वाणी प्रदान करने वाले आधुनिक कवियों में इनका प्रमुख स्थान है। निस्सन्देह उनकी 'भारतीय आत्मा' से निकली वाणी माँ भारती के मन्दिर की पावन भारत बनकर युग-युग तक गूंजती रहेगी।

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