रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय (Ramnaresh Tripathi Ka Jivan Parichay) :-
पं. रामनरेश त्रिपाठी का जन्म सन् 1889 ई. में जौनपुर के कोइरीपुर गाँव में साधारण कृषक परिवार में हुआ था। इनके पिता प. रामदत्त त्रिपाठी एक साधारण ब्राह्मण थे। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा गाँव की पाठशाला में हुई। जौनपुर से नवीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त की। सन् 1908 में आप कोलकाता चले गये बाद में स्वतन्त्र अध्ययन कर साहित्य साधना को जीवन का लक्ष्य बनाया। सन् 1921 में महात्मा गाँधी के असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के कारण इनको जेल यात्रा करनी पड़ी। सन् 1924 में 'हिन्दी मन्दिर प्रयाग' की स्थापना की और सुचारू रूप से प्रकाशन कार्य का संचालन किया। सन् 1931 में हिन्दी मन्दिर प्रेम की स्थापना की और वानर नामक मासिक पत्रिका का सम्पादन किया। सन् 1962 में अपने ही गाँव में इनकी मृत्यु हो गयी।
रामनरेश त्रिपाठी की रचनाएँ :-
आपकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं
खण्ड काव्य -- पथिक, मिलन और स्वप्न।
कविता संग्रह -- मानसी।
सम्पादित -- कविता कौमुदी, ग्राम्यगीत।
आलोचना -- गोस्वामी तुलसीदास और उनकी कविता।
रामनरेश त्रिपाठी का साहित्यिक परिचय :-
त्रिपाठी जी कवि होने के साथ सम्पादक और निबन्धकार भी हैं। सन् 1931 से 1941 तक इन्होंने कई पत्रिकाओं का सम्पादन बड़ी कुशलता के साथ किया। इनकी सबसे बड़ी देन 'ग्राम्यगीत' है। इसके लिए आपने लगभग 15 वर्ष तक ग्रामों का भ्रमण किया और देश के प्राकृतिक सौन्दर्य को अपनी आँखों से देखा। इन्हीं दृश्यों को इन्होंने अपनी कविता में लिपिबद्ध करके ग्राम्यगीत संकलन किया। इनके सम्पूर्ण काव्य में राष्ट्रीयता का स्वर है। उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि रामनरेश त्रिपाठी बहुमुखी प्रतिभा के साहित्यकार हैं। वे एक कुशल पत्रकार, सफल निबन्धकार और सहृदय कवि हैं। इसलिए खड़ी बोली के साहित्यकारों में त्रिपाठी जी का गौरवपूर्ण स्थान है।
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