सुभद्राकुमारी चौहान का जीवन परिचय (Subhadra Kumari Chauhan Ka Jivan Parichay) :-
कवयित्री सुभद्राकुमारी चौहान का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले में सन् 1904 को एक सम्भ्रान्त परिवार में हुआ था। आपके पिता रामनाथ सिंह उदार प्रकृति के व्यक्ति थे। सन् 1919 में इनका विवाह खण्डवा के लक्ष्मण सिंह चौहान के साथ हुआ था। सुभद्रा में राष्ट्रीयता की भावना बचपन से ही विद्यमान थी। सत्याग्रह आन्दोलन छिड़ने पर आपने पढ़ाई छोड़ दी।
आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने के कारण कई बार जेल यात्रा भी करनी पड़ी। इनके पति भी स्वतन्त्रता के पूर्ण समर्थक थे। बी. ए. , एल. एल. बी. होते भी इन्होंने वकालत नहीं की। ससुराल खण्डवा पहुँचने पर सुभद्रा कुमारी माखनलाल चतुर्वेदी के सम्पर्क में आयीं। इनसे आपको साहित्य-सृजन में विशेष प्रेरणा मिली। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद उत्तर प्रदेश की सरकार ने आपको विधान परिषद् सभा का सदस्य मनोनीत करके आपका सम्मान किया। सन् 1948 में एक मोटर दुर्घटना में आपका असामयिक निधन हो गया।
सुभद्राकुमारी चौहान का साहित्यिक परिचय :-
आधुनिक युग के कवियों में श्रीमती चौहान की कविता कई दृष्टियों से नवीन और महत्त्वपूर्ण है। खड़ी बोली में वात्सल्य और दाम्पत्य जीवन के उन जैसे चित्र अन्य किसी कवि ने प्रस्तुत नहीं किये हैं। वीर रस की तो वे हिन्दी की एकमात्र कवयित्री हैं। इस दृष्टि में हिन्दी की कवयित्रियों में सुभद्रा जी का एक विशिष्ट और महत्त्वपूर्ण स्थान है।
सुभद्राकुमारी चौहान की रचनाएँ :-
मुकुल नक्षत्र और त्रिधारा आपकी कविताओं के संग्रह हैं। 'मुकुल' पर आपको हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा सेक्सरिया पुरस्कार प्रदार किया गया था। आप उच्च स्तर की कहानी लेखिका भी रही हैं। 'उमादिनी' और 'बिखरे मोती' दो आपके कहानी संग्रह हैं।
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