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प्रोटॉन इलेक्ट्रॉन परिकल्पना

 प्रोटॉन इलेक्ट्रॉन परिकल्पना:–

प्रोटॉन इलेक्ट्रॉन परिकल्पना के अनुसार किसी भी परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन व इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं तथा ये दोनों संयुक्त रूप से नाभिक के धनावेश तथा द्रव्यमान के लिए उत्तरदाई होते हैं। 


जैसे:–

हीलियम के नाभिक का द्रव्यमान 2He4, प्रोटॉन के द्रव्यमान से 4 गुना होता है वह इस पर 2e आवेश होता है प्रोटॉन इलेक्ट्रॉन परिकल्पना के अनुसार हीलियम के नाभिक में चार प्रोटॉन व दों इलेक्ट्रॉन होते हैं क्योंकि इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान की तुलना में नगण्य होता है अतः हीलियम नाभिक का द्रव्यमान चार प्रोटॉन के द्रव्यमान के बराबर होगा।


प्रोटॉन इलेक्ट्रॉन परिकल्पना के दोष:–

 

(i) यदि यह माना जाए कि नाभिक में इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं तो नाभिक का कोणीय संवेग प्रयोगों द्वारा प्राप्त कोणीय संवेग से भिन्न होता है इससे स्पष्ट है कि नाभिक में इलेक्ट्रॉन उपस्थित नहीं होते हैं।


(ii) यदि यह माना जाए कि नाभिक में इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं तो नाभिक का चुंबकीय आघूर्ण इलेक्ट्रान के चुंबकीय आघूर्ण से कम नहीं होना चाहिए। परंतु यह देखा गया है कि नाभिक का चुंबकीय आघूर्ण इलेक्ट्रॉन के चुंबकीय आघूर्ण का 1/1000 वां भाग होता है ।


(iii) यदि कोई इलेक्ट्रॉन नाभिक जितने सुक्ष्म इलेक्ट्रान में सीमित है(10–¹⁵ मी कोटि) तो उसकी ऊर्जा की 100 mega electron volt की कोटि की होनी चाहिए परंतु प्रयोगो द्वारा यह ऊर्जा बहुत कम होता है।


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