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प्रिज्म द्वारा प्रकाश का अपवर्तन एवं वर्ण विक्षेपण(refraction and dispersion of light by prism)

 Chapter 4

प्रिज्म द्वारा प्रकाश का अपवर्तन एवं वर्ण विक्षेपण(refraction and dispersion of light by prism):–

प्रिज्म(prism):–

प्रिज्म किसी सामान पारदर्शी माध्यम की उस आकृति को कहते हैं जो किसी कोण पर झुके हुए दो समतल पृष्ठों से घिरा होता है।

प्रिज्म में से संबंधित महत्वपूर्ण पर भाषाएं निम्नलिखित हैं :–

(i)अपवर्तक पृष्ठ(refracting surfaces):–

जिन समतल पृष्ठों से प्रकाश का अपवर्तन होता है वह अपवर्तक पृष्ठ कहलाते हैं।

(ii) प्रिज्म कोण(prism angle):–

अपवर्तक पृष्ठों के मध्य बने कोण को प्रिज्म कोण कहते हैं। प्रिज्म कोण को  अपवर्तक कोण भी कहा जाता है। आदर्श प्रिज्म का प्रिज्म कोण 60° होता है।

(iii) अपवर्तक कोर (refraction edge):–

दोनों अपवर्तक पृष्ठों के मिलने से बनी कोर अपवर्तक कोर कहलाती है ।

(iv) प्रिज्म का आधार(base of prism):–

अपवर्तक कोर के सामने वाले पृष्ठ को प्रिज्म का आधार कहते हैं।

(v)  मुख्य परिच्छेद (principal  section):–

अपवर्तक पृष्ठों के अभिलंबवत किसी तल द्वारा काटे गए परिच्छेद को प्रिज्म का मुख्य परिच्छेद कहते हैं।

अल्पतम विचलन कोण या न्यूनतम विचलन कोण(angle of minimum deviation):–

आपतन कोण के एक विशेष मान के लिए विचलन कोण का मान न्यूनतम होता है जिसे अल्पतम या न्यूनतम विचलन कोण कहते हैं ।

प्रिज्म सूत्र:–






प्रिज्म द्वारा श्वेत प्रकाश का वर्ण विक्षेपण (dispersion of white light through prism):–

सूर्य का प्रकाश अनेक रंगों के प्रकाश से मिलकर बना है । सूर्य के प्रकाश के संकीर्ण प्रकाश पुंज को प्राय: श्वेत प्रकाश कहते हैं।



जब श्वेत प्रकाश की किरणें किसी पारदर्शी प्रिज्म में से गुजरती है, तो वह अपने मार्ग से विचलित होकर प्रिज्म के आधार की ओर झुक जाती है तथा सात रंग विभिन्न रंगों की किरणों में विभाजित हो जाती है इन किरणों से प्रिज्म के दूसरी और रखे पर्दे पर एक रंगीन पट्टी बन जाती है इस प्रकार उत्पन्न विभिन्न रंगों के समूह को वर्ण क्रम या स्पेक्ट्रम कहते हैं ।
तथा श्वेत प्रकाश के अपने अवयवी रंगों में विभक्त होने की घटना को प्रकाश का वर्ण विक्षेपण कहते हैं।


श्वेत प्रकाश  के वर्ण क्रम में मुख्य रूप से सात रंग दिखाई देते हैं तथा प्रिज्म के आधार की ओर से इन रंगों का क्रम इस प्रकार है


सबसे पहले नीचे से बैंगनी (violet) फिर क्रमानुसार जामुनी (indigo), नीला (blue), पीला (yellow), नारंगी (orange) तथा अंत में लाल (red)


रंगों के इस क्रम को अंग्रजी के शब्द VIBGYOR या हिंदी के शब्द बैंजनीहपीनाला द्वारा याद रखा जा सकता है।।


लाल प्रकाश किरण मे विचलन सबसे कम तथा बैंगनी प्रकाश किरण मे विचलन सबसे अधिक होता है।।

नोट: आयताकार गुटके में श्वेत प्रकाश का वर्ण विक्षेपण नही होता है क्योंकि गुटके के द्वारा श्वेत प्रकाश किरणों का विचलन नही होता है।


भिभिन्न रंगों का तरंगदैर्ध्य

क्र. स.          रंग।                    तरंगदैर्ध्य परास (Åमे)
1.       लाल(red)                    7800Å से 6400Å
2.      नारंगी (orange)            6400Å से 6000Å
3.      पीला (yellow)।            6000Å से 5700Å
4.      हरा (green)                  5700Å से 5000 Å
5.      नीला (blue)।                 5000 Å से 4600Å
6.     जामुनी (indigo)             4600Å से 4300 Å
7.     बैंगनी (violet)।               4300 Å से 4000Å

प्रकाश का प्रकीर्णन(scattering of light):–

जब प्रकाश किसी ऐसे माध्यम से गुजरता है जिसमें धूल ,वायु ,आदि के अतिसूक्ष्म कण उपस्थित हो तो उन कणों का उन कणों द्वारा प्रकाश का कुछ भाग सभी दिशाओं में फैल जाता है इस घटना को प्रकाश का प्रकीर्णन कहते हैं।
लॉर्ड रैले के अनुसार, यदि माध्यम के कणों का आकार प्रकाश की तरंगदैर्ध्य से अतिसूक्ष्म है, तो प्रकाश के प्रकीर्णन की मात्रा प्रकाश की तरंगदैर्ध्य(✓) की चतुर घात के व्युत्क्रमानुपाती होती है अर्थात्

प्रकीर्णन व्युत्क्रमानुपाती 1/✓⁴

लाल रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन न्यूनतम तथा बैगनी रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन अधिकतम होता है

प्रकाश के प्रकीर्णन पर आधारित घटनाएं निम्नलिखित हैं:–

1.आकाश का रंग नीला दिखाई देना(blue colour appearance of sky):–

वायुमंडल में धूल के अतिसूक्ष्म कण, गैसों के अणु तथा परमाणु उपास्थित होते हैं। जब सूर्य का प्रकाश वायुमंडल से गुजरता है ,तो धूल के कणों द्वारा उसका प्रकीर्णन हो जाता है । नीले और बैगनी रंग का प्रकीर्णन लाल रंग की तुलना में लगभग 16 गुना अधिक होता है। अतः नीला व बैंगनी प्रकाश चारों और बिखर जाता है तथा यह बिखरा हुआ प्रकाश हमारी आंखों तक पहुंचता है जिससे आकाश हमें नीला दिखाई देता है ।

2. सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य लाल दिखाई देना (red appearance of sun at sunrise and sunset):–

सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य, प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण हमें लाल दिखाई देता है क्योंकि सूर्योदय व सूर्यास्त के समय सूर्य क्षितिज के निकट होता है जिसके कारण प्रकाश की किरणों को आंख तक पहुंचने में दोपहर की तुलना में अधिक दूरी तय करनी पड़ती है।
इन किरणों का वायूमंडल  में उपस्थित धूल एव वायु के कणों द्वारा प्रकीर्णन होता है जिसमे केवल लाल किरणे ही आंख  तक पहुंचती है क्योंकि इन किरणों का  प्रकीर्णन न्यूनतम होता है। यही कारण है कि सूर्योदय व सूर्यास्त के समय सूर्य लाल दिखाई देता है जबकि  दोपहर के समय प्रकाश किरणों को कम दूरी तय करनी पड़ती है जिस कारण प्रकीर्णन भी कम होता है तथा सभी रंगों की किरणे हमारी आंखों तक पहुंचती है एव सूर्य श्वेत दिखाई देता है।



3. खतरे के संकेत का लाल होना (danger signals are red):–

लाल रंग के प्रकाश की तरंगदैर्ध्य रंगों की तुलना में अधिक होती है जिसके कारण लाल रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे कम होता है इसलिए इसे अधिक दूरी से देखा जा सकता है इसी कारण खतरे के संकेत के लिए लाल रंग का प्रयोग किया जाता है।









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