Chapter 5
लेंस(lens)
लेंस(lens):–
एक पारदर्शी माध्यम( जैसे:– कांच) ,दो गोलीय पृष्ठो या एक गोलीय तथा एक समतल पृष्ठ से घिरा होता है, लेंस कहलाता है।लेंस निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं
1.उत्तल लेंस(convex lens):–
उत्तल लेंस बीच में से मोटे तथा किनारों पर पतले होते हैं ।
यह तीन प्रकार के होते हैं
(i) उभयोत्तल अथवा द्विउत्तल लेंस
(ii) अवतलोत्तल लेंस
(iii) समतलोत्तल लेंस
2. अवतल लेंस (concave lens):–
अवतल लेंस बीच में से पतले तथा किनारों पर मोटे होते हैं।यह भी तीन प्रकार के होते हैं
(i) उभयावतल लेंस
(ii) उत्तलावतल लेंस
(iii) समतलावतल लेंस
लेंस से संबंधित महत्वपूर्ण भाषाएं:–
(i) वक्रता केंद्र(centre of curvature):–
उत्तल व अवतल लेंस के लिए गोलिय पृष्ठ जिस गोले के भाग होते हैं उस गोले को केंद्र का वक्रता केंद्र कहते हैं ।(ii) वक्रता त्रिज्या(radius of curvature):–
लेंस जिस गोले का भाग होता है उस गोले की त्रिज्या को लेंस की वक्रता त्रिज्या कहते हैं।(iii) मुख्य अक्ष (principal axis):–
लेंस के दोनों गोलियों पृष्ठों के वक्रता केंद्र से गुजरने वाली एक काल्पनिक सीधी रेखा को लेंस का मुख्य अक्ष कहते है।(iv)द्वारक(aperture) :–
लेंस के अर्धवृत्त आकार सिरो के व्यास को लेंस का द्वारक कहते हैं।(v) प्रकाशिक केंद्र(optical centre):–
लेंस के मुख्य पर स्थित वह बिंदु से होकर जाने वाली प्रकाश की किरण अपवर्तन के पश्चात बिना विचलित हुए सीधे निकल जाती है, लेंस का प्रकाशिक केंद्र कहलाता है ,इसी C से प्रदर्शित करते हैं।(vi) मुख्य फोकस(focus):–
लेंस के दो फोकस होते हैं ; प्रथम फोकस तथा द्वितीय फोकसउत्तल लेंस का प्रथम व द्वितीय फोकस उत्तल लेंस के मुख्य अक्ष पर स्थित वह निश्चित बिन्दु जिससे चलने वाली प्रकाश किरणे लेंस से अपवर्तन के पश्चात के समांतर हो जाती है ,उत्तल लेंस का प्रथम फोकस कहलाता है ।
इसी प्रकार उत्तल लेंस के मुख्य के समांतर चलने वाली प्रकाश की किरण लेंस से अपवर्तन के पश्चात जिस बिन्दु मिलती हैं उत्तल लेंस का द्वितीय फोकस कहलाता है ।
अवतल लेंस का प्रथम फोकस अवतल लेंस के मुख्य अक्ष पर स्थित वह निश्चित बिन्दु जिसकी ओर जाती हुई प्रकाश किरणे लेंस से अपवर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष के समांतर हो जाती है, अवतल लेंस का प्रथम फोकस कहलाता है ।
इसी प्रकार, अवतल लेंस के मुख्य अक्ष के समांतर चलने वाली प्रकाश किरणे लेंस के अपवर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष के जिस बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं अवतल लेंस का द्वितीय फोकस फोकस कहलाता है।
फोकस दूरी(focal length):–
लेंस के प्रकाशिक केंद्र तथा फोकस के बीच की दूरी को फोकस दूरी कहते हैं ।फोकस तल (focal plane):–
लेंस के फोकस से होकर जाने वाले तथा मुख्य अक्ष अभिलंबवत तल को लेंस का फोकस तल कहते है।लेंस द्वारा प्रतिबिंब बनाने के नियम(rules to form image by lens):–
किसी वस्तु का लेंस द्वारा प्रतिबिंब बनाने के लिए निम्नलिखित तीन नियम है।
प्रतिबिंब की स्थिति निर्धारित करने के लिए इनमें से किन्हीं दो नियमों का प्रयोग किया जाता है।
1. प्रथम नियम:–
लेंस के प्रथम मुख्य फोकस से होकर जाने वाली (उत्तल लेंस में) या प्रथम मुख्य फोकस की ओर जाती हुई प्रतीत होने वाली (अवतल लेंस में ) प्रकाश की किरणें अपवर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष के समांतर हो जाती हैं।2. द्वितीय नियम:–
लेंस के मुख्य अक्ष के समांतर चलने वाली प्रकाश किरणे अपवर्तन के पश्चात द्वितीय फोकस से होकर जाती हैं या द्वितीय फोकस से आती हुई प्रतीत होती हैं।3. तृतीय नियम:–
लेंस के प्रकाशिक केंद्र से होकर गुजरने वाली प्रकाश की किरणें अपवर्तन के पश्चात बिना विचलित हुए निकल जाती है।लेन्सो के लिए u ,v तथा f मे संबंध:–
माना लेंस के प्रकाशिक केंद्र से वस्तु की दूरी = u
लेंस के प्रकाशित केंद्र से प्रतिबिंब की दूरी = v
लेंस की फोकस दूरी = f
तब, 1/v –1/u = 1/f
u,v, तथा f में यह सम्बन्ध लेंस सूत्र कहलाता हैं। दोनों प्रकार के लेंस के लिए एक ही सूत्र होता है ।
रेखीय आवर्धन(linear magnification):–
लेंस के मुख्य अक्ष के लंबवत नापी गई प्रतिबिंब की लंबाई तथा वस्तु की लंबाई के अनुपात को रेखीय आवर्धन कहते हैं इसे m से प्रदर्शित करते हैं ।यदि वस्तु की लंबाई O, प्रतिबिंब की लंबाई I, लेंस से वस्तु की दूरी u , तथा लेंस से प्रतिबिंब की दूरी v हो ,तो
रेखीय आवर्धन(m) = प्रतिबिंब की लंबाई(I) / वस्तु की लंबाई(O)
= लेंस से प्रतिबिंब की दूरी(v)/ लेंस से वस्तु की दूरी(u)
लेंस की क्षमता(power of lens):–
लेंस द्वारा प्रकाश किरणों को अभिसरित व अपसारित करने की सामर्थ को लेंस की क्षमता कहते हैं। यह लेंस की फोकस दूरी(f) के प्रतिलोम के बराबर होता है जबकि फोकस दूरी मीटर में नापी गई हो अर्थात्लेंस की क्षमता (p) = 1/f(मी ० में)
लेंस की क्षमता का मात्रक डायोप्टर (Dioptre) होता है
1 डायोप्टर उस लेंस की क्षमता होती है जिस की फोकस दूरी 1 होती है।
उत्तल लेंस की फोकस दूरी धनात्मक होती है अतः इसकी क्षमता सदैव धनात्मक होती है व अवतल लेंस की फोकस दूरी ऋण आत्मक होती है इसकी क्षमता सदैव ऋण आत्मक होती है ।
लेंसो का उपयोग(uses of lenses):–
1. उत्तल लेंस का उपयोग घड़ी साज घड़ी के पुर्जे देखने के लिए करता है।2. डॉक्टर आंख व कान के अंदर देखने के लिए उत्तल लेंस का प्रयोग करता है ।
3.उत्तल लेंस का उपयोग विभिन्न प्रकाशिकी यंत्रों ;जैसे– दूरदर्शी, सुक्ष्म दर्शी, फोटोग्राफिक कैमरे, आदि किया जाता है ।
4. मानव नेत्र में उत्पन्न दृष्टि दोष के निवारण हेतु चश्मे में उचित फोकस दूरी के उत्तल एवं अवतल लेंस का प्रयोग किया जाता है।
Thanks for watching.......
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1 Comments
Thanks bhai
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