श्यामसुंदर दास का जीवन परिचय (Shyamsundar Das Biography in Hindi)
श्यामसुंदर दास हिंदी साहित्य के एक महान विद्वान, भाषाविज्ञानी और आलोचक थे। इनका जन्म 1857 ई. में काशी (वाराणसी) के प्रसिद्ध खन्नी परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम देवीदास खन्ना और माता का नाम देवकी देवी था।
इनका बचपन सुखपूर्वक बीता। प्रारंभिक शिक्षा संस्कृत और व्याकरण में हुई। इसके बाद मिशन स्कूल से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। स्वास्थ्य कारणों से प्रयाग विश्वविद्यालय से पढ़ाई छोड़कर काशी के क्वीन्स कॉलेज से बी.ए. 1897 में पूर्ण किया।
आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर इन्होंने 'चंद्रप्रभा प्रेस' में 40 रुपए मासिक वेतन पर नौकरी की। इसके बाद वे सेंट्रल हिन्दू कॉलेज में अध्यापक बने, सिंचाई विभाग में भी काम किया और काशी रियासत के निजी सचिव भी रहे।
1912 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष बने और वहाँ 8 वर्षों तक शिक्षण किया। 1945 ई. में इनका निधन हुआ।
📚 श्यामसुंदर दास की प्रमुख कृतियाँ:
📝 निबंध संग्रह:
- गद्य कुसुमावली (प्रमुख निबंध संग्रह)
- नागरी प्रचारिणी पत्रिका में प्रकाशित निबंध
📖 समालोचना / समीक्षा ग्रंथ:
- गोस्वामी तुलसीदास
- भारतेन्दु हरिश्चंद्र
- साहित्यालोचन
- रूपक रहस्य
📘 साहित्य इतिहास:
- साहित्य का इतिहास
- कवियों की खोज
🗣️ भाषाविज्ञान:
- भाषाविज्ञान
- हिंदी भाषा का विकास
- भाषा रहस्य
🛠️ संपादन कार्य:
- हिंदी शब्द सागर
- वैज्ञानिक कोश
- हिंदी-कोविद-रत्नमाला
- नासिकेतोपाख्यान
- रामचरितमानस
- पृथ्वीराज रासो
- मेघदूत
- हम्मीर रासो
- शकुंतला
- वनिताविनोद
- छत्रप्रकाश
- दीनदयाल गिरि ग्रंथावली
- मनोरंजन पुस्तक माला
- नागरी प्रचारिणी पत्रिका
🖋️ श्यामसुंदर दास का साहित्यिक परिचय:
श्यामसुंदर दास जी को द्विवेदी युग के बाद हिंदी साहित्य के वैज्ञानिक आलोचक और विचारक के रूप में जाना जाता है। इन्होंने काशी नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना में भी प्रमुख भूमिका निभाई।
उन्होंने लगभग 50 वर्षों तक हिंदी साहित्य को शिक्षण, लेखन, संपादन और आलोचना के माध्यम से समृद्ध किया। श्यामसुंदर दास ने इतिहास, काव्यशास्त्र, भाषाविज्ञान और आलोचना जैसे क्षेत्रों में ठोस कार्य किया।
इनके द्वारा वैज्ञानिक पद्धति से की गई साहित्य समीक्षा ने हिंदी साहित्य में आलोचना परंपरा की मजबूत नींव रखी।
🏆 सम्मान और उपाधियाँ:
- ‘साहित्यवाचस्पति’ – हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग
- ‘डी.लिट.’ – काशी हिंदू विश्वविद्यालय
- ‘राय बहादुर’ – ब्रिटिश सरकार द्वारा
🔚 निष्कर्ष:
श्यामसुंदर दास जी हिंदी साहित्य के उन्नायक, गहरे विचारक और भाषाविज्ञान के आधारशिला निर्माता थे। उनकी रचनाएँ और संपादन कार्य आज भी शिक्षकों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों के लिए अमूल्य धरोहर हैं। वे सच्चे अर्थों में हिंदी साहित्य के “विचार नायक” थे।
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