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विधुत सेल, प्रकार, विद्युत वाहक बल तथा आन्तरिक प्रतिरोध और विभवांतर

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विधुत सेल:—

         विद्युत सेल एक ऐसी युक्ति है जो रासायनिक उर्जा को विद्युत उर्जा मैं बदलती हैं। विद्युत सेल में एक द्रव जिसमे दो बिभिन्न धातुये की छड़ होती हैं। यह द्रव विधुत अपघटय कहलाता हैं।

विधुत सैलो के प्रकार:—

 1) प्राथमिक सेल:—

                  इस प्रकार के सेलो में विद्युत अपघटय को एक बार उपयोग में लेने के पश्चात पुनः आवेशित नहीं किया जा सकता है, जैसे:—डेनियल सेल, वोल्टीय सेल आदि।

2.)द्वितीयक सेल:—

द्वितीयक सेल उन्हें कहते हैं ,जिन्हें एक बार विसर्जित होने के बाद इन्हें पुनः आवेशित कर लिया जाता हैं। ये संचायक सेल भी कहलाते है।

सेल का विद्युत वाहक बल:—

                  एकांक आवेश को पूरे परिपथ में प्रवाहित कराने में सेल द्वारा दी गई उर्जा को सेल का विद्युत वाहक बल कहते हैं। इसे E से प्रदर्शित करते हैं।

E=W/q , जुल/कुलाम या वोल्ट

सेल टर्मिनल बिभवांतर:—

एकांक आवेश को एक टर्मिनल से दुसरे टर्मिनल तक वाह्य परीपथ में प्रवाहित कराने में आवश्यक उर्जा को सेल का टर्मिनल बिभवंतर कहते हैं।

इसे v से प्रदर्शित करते हैं।

V=W/q , वोल्ट

सेल का आन्तरिक प्रतिरोध:—

        जिस प्रकार तार विद्युत धारा के मार्ग में अवरोध उत्पन्न करता है ठीक उसी प्रकार सेल का घोल भी विद्युत धारा के मार्ग में अवरोध उत्पन्न करता है जिसे सेल का आंतरिक प्रतिरोध कहते हैं।

इसे r से प्रदर्शित करते हैं।

सेल का आंतरिक प्रतिरोध निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है:—

1). यह सेल की दोनों प्लेटों के बीच की दूरी के अनुक्रमानुपाती होती है।

2.) गोल में डूबे प्लेटो के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होती है।

3.)विद्युत अपघटय की संद्रता बढ़ने पर बढ़ती है।

4.) वैद्युत अपघटय एवं प्लेटो के पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करती हैं।।

सेल के टर्मिनल विभवांतर V विद्युत वाहक बल E तथा आंतरिक प्रतिरोध r में संबंध:—



चित्र में एक सेल जिसका विद्युत वाहक बल E तथा आंतरिक प्रतिरोध r और एक कुंजी के द्वारा एक प्रतिरोध तार R तथा एमीटर (A) से जोड़ा गया है।


विद्युत सेल की प्लेटों के बीच एक वोल्ट मीटर V जोड़ा गया है विद्युत सेल का आंतरिक प्रतिरोध r हैं कुंजी k को बंद करने पर विद्युत सेल से धारा प्रवाहित होने लगती है।


माना, की परिपथ मे विद्युत धारा i, t समय के लिए की जाती हैं तो सेल द्वारा किया गया कार्य:—

W=Eq

W=Eit {q=it}



क्योंकि सेल के बाहर प्रतिरोध R शिरो के बीच विभवांतर V है अतः विद्युत सेल के बाहर किया गया कार्य :— 

बिभवंतर V=W/q

बाहर किया गया कार्य W=Vq

                           बाहर किया गया कार्य W=vit { q=it }

चूंकि सेल का आंतरिक प्रतिरोध r है अतः सेल में धारा प्रवाहित करने पर सेल के भीतर विभव में कमी v'=ir अतः सेल के भीतर किया गया कार्य:—     

W=v'q

W=ir ×it {q=it}

अंदर किया गया कार्य W=i²rt     

 


कुल कार्य:—

कुल कार्य W= बाहर किया गया कार्य W + अन्दर किया गया कार्य W

Eit = vit + i²rt

Eit= it ( V+ ir )

E = V + ir

V = E - ir


ओम के नियम से:—

                     V = ir

 iR = E - ir

iR + ir = E

i ( r + R ) = E

i = E/r +R 

ज्यादा धारा के लिए :—

          i = E/r { R = 0 }

इसका मात्रक कुलाम/सेकेंड या एंपीयर होता हैं।




               

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