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प्रकाश विद्युत प्रभाव, देहली आवृत्ति, देहली तरंग दैर्ध्य, कार्यफलन, आदि महत्व पूर्ण प्रश्न

प्रकाश विद्युत प्रभाव:–



 प्रकाश किरणों के प्रभाव के धातु के इलेक्ट्रान के उत्सर्जन की घटना को प्रकाश विद्युत प्रभाव अथवा प्रकाश विद्युत उत्सर्जिन कहते हैं।

 प्रकाश द्वारा उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनो को प्रकाश इलेक्ट्रोन तथा फ़ोटो इलेक्ट्रोन तथा उत्पन्न धारा को प्रकाश विद्युत धारा कहते हैं

 प्रकाश इलेक्ट्रॉनिक के उत्सर्जन की दर आपतित प्रकाश की तीव्रता के अनुक्रमानुपति होता है।


 देहली आवृत्ति :–

प्रकाश की न्यूनतम आवृत्ति को जो किसी पदार्थ से प्रकाश इलेक्ट्रान का उत्सर्जन करा सके उस पदार्थ को देहली आवृत्ति कहते है। इसे v° प्रदर्शित करते हैं ।


देहली  तरंग दैर्ध्य:–

किसी धातु पर आपतित प्रकाश की वह अधिकतम  तरंग दैर्ध्य जिससे किसी धातु के पृष्ठ पर डालने से इलेक्ट्रोन उत्सर्जित हो सके उस धातु की देहली  तरंग दैर्ध्य कहलाती है।

इसका मान भिन्न भिन्न धातुओं के लिए भिन्न भिन्न होता है।

कार्यफलन:–

 वह न्यूनतम ऊर्जा जो किसी धातु से प्रकाश इलेक्ट्रोन उत्सर्जित करने के लिए आवश्यक है, उस धातु की कार्यफलन कहलाती है। इसे(W) प्रदर्शित करते हैं।


प्रकाश विधुत उत्सर्जन के नियम:–

लेनार्ड तथा मिलकन ने प्रकाश विद्युत उत्सर्जन पर किए गए प्रयोगों के आधार पर निम्नलिखित नियम दिए।

1). किसी धातु के पृष्ठ से प्रकाश इलेक्ट्रानों के उत्सर्जन की दर आपतित प्रकाश की तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होता है।

2). उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रान की अधिकतम गतिज ऊर्जा आपतित प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर करती है।

3). प्रकाश इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा प्रकाश की आवृत्ति बढ़ने पर बढ़ती है।

                e = h√

4). यदि आपतित प्रकाश की आवृत्ति एक न्यूनतम मान से कम है तो धातु से कोई इलेक्ट्रॉन नहीं निकलता है।


तरंग सिद्धान्त की बिफलताए :–

प्रकाश विद्युत प्रभाव के इन अभिलक्षणों की व्याख्या प्रकाश की तरंग सिद्धांत के द्वारा नहीं की जा सकती है इसके तीन मुख्य कारण हैं:—

1). यदि प्रकाश तरंगों के रूप में है तो प्रकाश की तीव्रता बढ़ने पर तरंगो का आयाम और संक्षिप्त ऊर्जा बढ़ेगी।

2). प्रकाश तरंगों की आवृत्ति कुछ भी हो, प्रकाश इलेक्ट्रान अवश्य उत्सर्जित होने चाहिए।

3). प्रकाश तरंगों द्वारा संक्षिप्त उर्जा धातु के किसी एक इलेक्ट्रॉन को न मिलकर प्रकाशित क्षेत्रफल में उपस्थित सभी इलेक्ट्रॉनों में विकरीत होती है।

जिससे कुछ मिनट या कुछ घंटे लग जाएंगे परंतु प्रयोगों के आधार पर धातु पर प्रकाश के गिरते ही 10–⁹ सेकंड में इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने लगते हैं।








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