Header Ads Widget

💧 गैसों की द्रव में विलेयता (Solubility of Gases in Liquids) | परिभाषा, कारक व हेनरी का नियम

विलेयता (Solubility) :

किसी विलायक की एक निश्चित मात्रा में, निश्चित ताप पर, किसी विलेय पदार्थ की एक निश्चित मात्रा ही विलीन हो सकती है। अतः किसी पदार्थ की वह अधिकतम मात्रा जो निश्चित ताप पर 100 ग्राम विलायक में घुल जाती है, उस पदार्थ की विलेयता कहलाती है।

गैसों की द्रवों में विलेयता (Solubility of Gases in Liquids) :



भिन्न-भिन्न गैसों की द्रव में विलेयता भिन्न-भिन्न होती है। उदाहरण- ऑक्सीजन जल में बहुत कम मात्रा में घुलती है, जबकि अन्य कुछ गैसे जैसे- CO₂, HCl इत्यादि जल में घुलनशील होती हैं। गैसों की द्रव में विलेयता को अवशोषण गुणांक द्वारा समझा जा सकता है।

निश्चित ताप तथा वायुमण्डलीय दाब पर, किसी विलायक के निश्चित आयतन में घुली हुई गैस के मानक ताप एवं दाब (STP) पर आयतन को उस गैस का अवशोषण गुणांक (Absorption Coefficient) कहते हैं।

अवशोषण गुणांक के मान में वृद्धि होने पर गैसों की विलेयता बढ़ती है।

गैसों की द्रव में विलेयता को प्रभावित करने वाले कारक :

  1. गैसों की प्रकृति (Nature of Gas): जो गैसें विलायक से अभिक्रिया करके यौगिक बनाती हैं, वे अधिक विलेय होती हैं। जैसे आयनित होने वाली गैसें।
  2. विलायक की प्रकृति (Nature of Solvent): ध्रुवीय गैसे, ध्रुवीय विलायकों में तथा अनुध्रुवीय गैसे अनुध्रुवीय विलायकों में अधिक विलेय होती हैं।
  3. ताप का प्रभाव (Effect of Temperature): ताप में वृद्धि करने पर गैसों की विलेयता घट जाती है क्योंकि यह ऊष्माक्षेपी प्रक्रम होता है।
    उदाहरण : CO₂ + H₂O → H₂CO₃ + ऊष्मा
  4. विलायक में अन्य पदार्थों की उपस्थिति: यदि विलायक में अन्य कार्बनिक यौगिक या इलेक्ट्रोलाइट्स हों तो विलेयता घट जाती है।
  5. दाब का प्रभाव (Effect of Pressure): दाब में वृद्धि करने पर गैसों की विलेयता बढ़ जाती है।

हेनरी का नियम (Henry's Law):

गैस की विलेयता और दाब के बीच मात्रात्मक सम्बन्ध सर्वप्रथम हेनरी ने दिया जिसे हेनरी का नियम कहा जाता है।

यदि एक बंद पात्र में गैस का विलयन है और साम्यावस्था बनी हुई है, तो पिस्टन द्वारा दाब बढ़ाने पर गैस के कणों के विलयन में प्रवेश की दर बढ़ जाती है, जिससे विलेयता भी बढ़ती है।

---

📌 निष्कर्ष: गैसों की विलेयता को कई कारक प्रभावित करते हैं जिनमें ताप, दाब, गैस एवं विलायक की प्रकृति प्रमुख हैं। यह सिद्धांत रसायन विज्ञान के कई उपयोगों में सहायक है।

📚 और आसान भाषा में नोट्स पाने के लिए जॉइन करें हमारे Telegram ग्रुप

Post a Comment

0 Comments