रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल (Rutherford Atomic Model in Hindi)
परिचय:
रदरफोर्ड ने अल्फा प्रकीर्णन प्रयोग के आधार पर थॉमसन के परमाणु मॉडल को चुनौती दी और वर्ष 1911 में स्वयं का परमाणु मॉडल प्रस्तुत किया।
रदरफोर्ड परमाणु मॉडल के मुख्य बिंदु:
- परमाणु का अधिकांश द्रव्यमान एक अत्यंत छोटे और सघन भाग में केंद्रित होता है जिसे नाभिक (Nucleus) कहते हैं।
- नाभिक में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन उपस्थित होते हैं तथा इसका आकार बहुत छोटा (~10-14 मीटर) होता है।
- इलेक्ट्रॉन, नाभिक के चारों ओर निर्धारित वृत्ताकार कक्षाओं में उच्च वेग से घूमते रहते हैं।
- परमाणु में ऋणात्मक आवेश (इलेक्ट्रॉन) और धनात्मक आवेश (नाभिक) होते हैं, जिससे परमाणु का कुल आवेश शून्य होता है।
- नाभिक का कुल आवेश +Ze होता है, जहाँ Z = परमाणु क्रमांक तथा e = इलेक्ट्रॉन का आवेश।
- रदरफोर्ड का मॉडल परमाणु को एक खोखले गोले के समान मानता है जिसमें केंद्र में नाभिक होता है और उसके चारों ओर इलेक्ट्रॉन घूमते हैं।
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की सीमाएँ / कमियाँ:
- यदि इलेक्ट्रॉन वृत्ताकार पथ में घूमता है तो विद्युत चुम्बकीय सिद्धांत के अनुसार वह निरंतर ऊर्जा का उत्सर्जन करेगा और अंततः नाभिक में गिर जाएगा, जिससे परमाणु अस्थिर हो जाएगा। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता।
- रदरफोर्ड का मॉडल इलेक्ट्रॉनों के वितरण को स्पष्ट नहीं कर सका।
- यह मॉडल स्पेक्ट्रम की व्याख्या करने में विफल रहा। रदरफोर्ड के अनुसार स्पेक्ट्रम सतत होना चाहिए, लेकिन व्यवहार में परमाणु स्पेक्ट्रम रेखीय (Line spectrum) होता है।
निष्कर्ष:
रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल आधुनिक परमाणु संरचना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था, लेकिन इसकी कमियों को नील्स बोहर ने 1913 में दूर किया और आगे चलकर क्वांटम यांत्रिकी ने परमाणु की संरचना को और गहराई से समझाया।
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