n-type और p-type अर्द्ध-चालक: परिभाषा, उदाहरण, निर्माण प्रक्रिया और अनुप्रयोग:-
अर्द्ध-चालक (Semiconductors) वे तत्व या यौगिक होते हैं जिनकी चालकता धातुओं से कम और कुचालकों से अधिक होती है। इन्हें अशुद्धियों से अपमिश्रित कर दो प्रकार के अर्द्ध-चालकों में बदला जा सकता है: n-type और p-type।
1. n-type अर्द्ध-चालक (Electron Rich Impurities)
जब मूल अर्द्ध-चालक (जैसे Si या Ge) में ऐसे तत्व मिलाए जाते हैं जिनके पास अधिक संयोजी इलेक्ट्रॉन होते हैं (जैसे फॉस्फोरस, आर्सेनिक), तो वह n-type अर्द्ध-चालक बनता है।
- उदाहरण: Si (संयोजकता = 4) में P (संयोजकता = 5) मिलाने पर एक अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन मिलता है।
- यह अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन दाता स्तर (Donor level) में चला जाता है और चालकता बैण्ड में विद्युत प्रवाह करता है।
- इन इलेक्ट्रॉनों के कारण अर्द्ध-चालक को n-type कहा जाता है।
2. p-type अर्द्ध-चालक (Electron Deficient Impurities)
जब Si या Ge जैसे तत्वों में ऐसे तत्व मिलाए जाएँ जिनके पास संयोजी इलेक्ट्रॉन कम होते हैं (जैसे B, Al), तो वह p-type अर्द्ध-चालक बनता है।
- उदाहरण: B (संयोजकता = 3) जब Si के साथ जुड़ता है तो एक छिद्र (Hole) उत्पन्न होता है।
- यह छिद्र एक धनावेशित कण की तरह कार्य करता है जो विद्युत धारा प्रवाहित करता है।
- इन तत्वों को ग्राही अशुद्धियाँ (Acceptor impurities) कहा जाता है।
3. n-type और p-type अर्द्ध-चालकों के अनुप्रयोग
- ट्रांजिस्टर निर्माण: n-p-n और p-n-p ट्रांजिस्टर n तथा p-type अर्द्ध-चालकों से बनाए जाते हैं।
- सौर सेल (Solar Cell): p-n संधि आधारित फोटो डायोड द्वारा प्रकाश ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है।
- डायोड निर्माण: p-n जंक्शन का उपयोग करके AC को DC में बदला जाता है।
- संयोजकता का औसत: वर्ग 12, 13, 16 के मिश्रण से ऐसे ठोस बनाए जाते हैं जिनकी औसत संयोजकता 4 होती है।
- इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उपयोग: कंप्यूटर, टीवी, डिजिटल कैमरा आदि में अर्द्ध-चालकों का प्रयोग होता है।
निष्कर्ष:
n-type और p-type अर्द्ध-चालक आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स के मूल आधार हैं। ये छोटे स्तर पर विद्युत नियंत्रण के लिए आवश्यक हैं और इनका उपयोग अनेक तकनीकी यंत्रों में होता है।
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