किरचॉफ के नियम – Kirchhoff’s Laws in Hindi
ओम का नियम सरल परिपथों के लिए उपयुक्त होता है, लेकिन जटिल विद्युत परिपथों को हल करने के लिए किरचॉफ (Kirchhoff) ने दो नियम दिए जो किरचॉफ के नियम कहलाते हैं।
1️⃣ किरचॉफ का पहला नियम (Kirchhoff's First Law) – संधि नियम
परिभाषा: “किसी विद्युत परिपथ की किसी भी संधि पर मिलने वाली सभी धाराओं का बीजगणितीय योग शून्य होता है।”
सूत्र: ∑I = 0
या फिर,
संधि पर आने वाली धारा का योग = संधि से बाहर जाने वाली धारा का योग
📌 यह नियम किस सिद्धांत पर आधारित है?
➡️ यह आवेश संरक्षण के सिद्धांत पर आधारित है।
📘 उदाहरण:
यदि किसी संधि पर I₁ और I₂ अंदर आ रही हैं और I₃, I₄, I₅ बाहर जा रही हैं, तो:
I₁ + I₂ = I₃ + I₄ + I₅
2️⃣ किरचॉफ का दूसरा नियम (Kirchhoff's Second Law) – लूप नियम
परिभाषा: “किसी बंद परिपथ में परिणामी विद्युत वाहक बल (EMF) सभी अवयवों के सिरों पर उत्पन्न विभवांतरों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है।”
सूत्र: ∑IR = ∑ε
📌 चिन्हों के नियम (Signs Convention):
- धारा की दिशा में चलने पर प्रतिरोध पर विभवांतर को धनात्मक लेते हैं।
- धारा के विपरीत चलने पर ऋणात्मक लेते हैं।
- सेल में ऋण सिरे से धन सिरे की ओर जाने पर धनात्मक EMF लिया जाता है।
- धन से ऋण सिरे की ओर जाने पर ऋणात्मक EMF लिया जाता है।
📘 उदाहरण:
किसी लूप में R₁ और R₂ प्रतिरोध हैं, और EMF = ε है। यदि धारा I है, तो:
I·R₁ + I·R₂ = ε
📌 निष्कर्ष:
- किरचॉफ का पहला नियम परिपथ की धाराओं के संतुलन को दर्शाता है।
- किरचॉफ का दूसरा नियम विभवांतर और EMF का संबंध बताता है।
- ये दोनों नियम मिलकर किसी भी जटिल विद्युत परिपथ को हल करने के लिए उपयोगी होते हैं।
ध्यान दें: इन नियमों का प्रयोग करते समय सही दिशा और संकेतों (Signs) का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है।
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