प्राथमिक सेल का आंतरिक प्रतिरोध ज्ञात करने की विधि
विभवमापी के अनेक प्रयोगों में से एक प्रयोग यह है कि इसके माध्यम से प्राथमिक सेल का आंतरिक प्रतिरोध ज्ञात किया जा सकता है। आइए इस प्रयोग की कार्यविधि, चित्र तथा सूत्र को विस्तार से समझते हैं।
🔧 आवश्यक यंत्र
- विभवमापी
- प्राथमिक सेल
- धारा नियंत्रक (Rheostat)
- सर्पी कुंजी (Galvanometer)
- प्रतिरोध R
- धारामापी (Galvanometer)
- कुंजी k1 और k2
📘 परिपथ का निर्माण
परिपथ दो भागों में होता है:
- प्राथमिक परिपथ: जिसमें बैटरी E₀, धारा नियंत्रक Rh और कुंजी k1 को श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है।
- द्वितीयक परिपथ: जिसमें प्राथमिक सेल E, प्रतिरोध R, कुंजी k2 और धारामापी जुड़े रहते हैं।
⚙️ कार्यविधि (Working)
- k1 को बंद करें और k2 को खुला छोड़ें।
- सर्पी कुंजी J को तार पर सरकाकर धारामापी में शून्य विक्षेप की स्थिति (संतुलन स्थिति) ज्ञात करें।
- माना इस स्थिति में संतुलन बिंदु L₁ हो, तो
E = x·L₁ - अब k2 को बंद करें, जिससे प्रतिरोध R से धारा बहती है।
- फिर से सर्पी कुंजी को सरकाकर दूसरी संतुलन स्थिति L₂ प्राप्त करें:
V = x·L₂
📐 सूत्र और गणना
हम जानते हैं:
E = V + rI
⇒ r = (E – V) / I
चूंकि V = IR, तो
r = (E – V)R / V
और E = xL₁, V = xL₂ रखने पर,
r = (xL₁ – xL₂)·R / xL₂
⇒ r = (L₁ – L₂)·R / L₂
📌 निष्कर्ष: उपरोक्त सूत्र में L₁, L₂ की माप तथा R का मान रखकर हम सेल का आंतरिक प्रतिरोध (r) ज्ञात कर सकते हैं।
❓ FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. विभवमापी से आंतरिक प्रतिरोध क्यों मापा जाता है?
क्योंकि विभवमापी एक शून्य विधि है और इसमें कोई धारा नहीं खींची जाती, जिससे सटीक विभव मापना संभव होता है।
Q2. विभव प्रवणता (Potential Gradient) क्या है?
तार पर एकांक लंबाई में विभव में आया परिवर्तन विभव प्रवणता कहलाता है, जिसे x से दर्शाते हैं।
Q3. प्रयोग में दो संतुलन बिंदु क्यों मिलते हैं?
पहला संतुलन बिंदु E (विद्युत वाहक बल) के लिए होता है और दूसरा V (टर्मिनल वोल्टेज) के लिए।
Q4. विभवमापी का उपयोग और किन-किन चीजों में होता है?
विभवमापी का प्रयोग विद्युत वाहक बल, आंतरिक प्रतिरोध, टर्मिनल वोल्टेज इत्यादि को मापने में किया जाता है।
👉 ध्यान दें: इस प्रयोग में ताप, कनेक्शन और कुंजी संचालन की सावधानी आवश्यक होती है।
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