हेनरी का नियम (Henry's Law)
इस नियम के अनुसार, "स्थिर ताप पर किसी गैस की द्रव में विलेयता गैस के दाब के समानुपाती होती है।"
अर्थात्
m ∝ p या m = Kp
जहाँ,
m = घुली हुई गैस की मात्रा
p = साम्य पर गैस का दाब
K = समानुपाती स्थिरांक
डाल्टन के अनुसार, किसी द्रवीय विलयन में गैस की विलेयता गैस के आंशिक दाब पर निर्भर करती है।
p ∝ X(gas) या p = Kh × X(gas)
यहाँ Kh हेनरी स्थिरांक कहलाता है। समान ताप पर भिन्न-भिन्न गैसों के लिए Kh का मान अलग-अलग होता है।
स्पष्टीकरण:
Kh के मान में वृद्धि होने पर गैस की विलेयता घटती है, क्योंकि:
P / X(gas) = Kh
Kh ज्ञात करने हेतु X(gas) एवं p के बीच ग्राफ खींचा जाता है, जिससे एक सीधी रेखा प्राप्त होती है। इसी का ढाल Kh होता है।
हेनरी के नियम की सीमाएँ (Limitations of Henry's Law)
- (i) दाब अधिक न हो।
- (ii) ताप बहुत कम न हो।
- (iii) गैस विलायक में बहुत कम विलेय हो।
- (iv) गैस की आण्विक अवस्था द्रव व गैस दोनों में समान हो।
हेनरी के नियम के अनुप्रयोग (Applications of Henry's Law)
- ऊँचाई पर ऑक्सीजन की कमी: ऊँचाई वाले स्थानों पर ऑक्सीजन का आंशिक दाब कम होता है जिससे ऐनॉक्सिया (Anoxia) रोग हो जाता है।
- शीतल पेय में CO₂ की विलेयता: सोडा व शीतल पेय को उच्च दाब पर बंद किया जाता है जिससे CO₂ की विलेयता बढ़ जाती है।
- गोताखोरी में श्वसन मिश्रण: गहरे समुद्र में उच्च दाब के कारण N₂ व O₂ की विलेयता रक्त में बढ़ जाती है। सतह पर आने पर गैसें बुलबुले बनाकर ‘बेंड्स’ रोग उत्पन्न करती हैं। इससे बचने हेतु He गैस का उपयोग किया जाता है।
प्रयोग में प्रयुक्त गैसों का मिश्रण:
He = 11.7%, N₂ = 56.2%, O₂ = 32.15%
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