फलन क्या है? | Function in Mathematics in Hindi
परिभाषा: गणित में, जब किसी समुच्चय A के प्रत्येक अवयव को समुच्चय B के केवल एक विशेष अवयव से जोड़ा जाए, तो उस नियम या प्रक्रिया को फलन (Function) कहते हैं। इसे सामान्यतः f: A → B के रूप में दर्शाया जाता है, जहाँ A डोमेन (Domain) होता है और B को-डोमेन (Co-domain)।
हर इनपुट (A का एक तत्व) के लिए केवल एक आउटपुट (B का एक तत्व) निर्धारित होता है। यह गणितीय संबंध नियमबद्ध, निश्चित और स्पष्ट होता है।
फलन के आवश्यक तत्व:
- डोमेन (Domain): वह समुच्चय जिसमें से इनपुट लिया जाता है।
- को-डोमेन (Co-domain): वह समुच्चय जिसमें फलन का मान (output) आता है।
- रेंज (Range): को-डोमेन के वे तत्व जो वास्तव में आउटपुट के रूप में प्राप्त होते हैं।
फलन को व्यक्त करने के तरीके:
- रूल (Rule) द्वारा: जैसे, f(x) = x²
- सेट ऑफ ऑर्डर्ड पेयर्स द्वारा: जैसे, {(1,1), (2,4), (3,9)}
- ग्राफ द्वारा: x-y निर्देशांक तल पर रेखांकन द्वारा
फलन के प्रकार (Types of Function):
1. एकैकी फलन (One-One Function)
यदि डोमेन के प्रत्येक अवयव के लिए को-डोमेन का अलग-अलग अवयव हो तो उसे एकैकी फलन कहते हैं।
2. बहु-एक फलन (Many-One Function)
यदि डोमेन के दो या अधिक अवयव को-डोमेन के एक ही अवयव से जुड़ते हों, तो वह बहु-एक फलन कहलाता है।
3. आच्छादक फलन (Onto Function)
यदि को-डोमेन का कोई भी अवयव ऐसा न हो जो रेंज में न आता हो, तो फलन आच्छादक कहलाता है।
4. अंतःक्षेपी फलन (Into Function)
यदि को-डोमेन में कुछ ऐसे अवयव हों जो रेंज में न आएं, तो उसे अंतःक्षेपी फलन कहते हैं।
5. एकैकी आच्छादक फलन (Bijective Function)
जो फलन एकैकी और आच्छादक दोनों हो, वह बायजेक्टिव फलन कहलाता है।
फलन के उदाहरण:
मान लीजिए A = {a, b, c} और B = {1, 2, 3}
यदि f(a)=1, f(b)=2, f(c)=3 है, तो यह एकैकी आच्छादक फलन (Bijective Function) है क्योंकि:
- हर इनपुट के लिए एक अलग आउटपुट है।
- को-डोमेन का कोई भी अवयव खाली नहीं है।
फलन का उपयोग (Uses of Function):
- गणितीय समीकरणों को हल करने में
- विज्ञान और इंजीनियरिंग में मापन और गणना हेतु
- प्रोग्रामिंग में इनपुट-आउटपुट संबंध समझने के लिए
- दैनिक जीवन के आर्थिक, भौतिक, सामाजिक मॉडल बनाने में
निष्कर्ष:
फलन एक अत्यंत महत्वपूर्ण गणितीय अवधारणा है जो गणित, विज्ञान, तकनीकी और कंप्यूटर विज्ञान में गहराई से प्रयुक्त होती है। यदि हम इनपुट-आउटपुट के संबंध को स्पष्ट रूप से समझते हैं तो किसी भी प्रकार की गणना या विश्लेषण सहज हो जाता है।
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