Header Ads Widget

फणीश्वरनाथ रेणु का जीवन परिचय | रचनाएं, कहानियाँ, उपन्यास व सम्मान

फणीश्वरनाथ रेणु का जीवन परिचय (Phanishwar Nath Renu Biography in Hindi)

जन्म: 4 मार्च 1921
निधन: 11 अप्रैल 1977

🔰 जीवन परिचय:

स्वातंत्र्योत्तर हिंदी साहित्य में प्रबल उपस्थिति रखने वाले उपन्यासकार-कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु का जन्म 4 मार्च 1921 को बिहार के पूर्णिया जिले के औराही हिंगना नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता शिलानाथ और माता पानो देवी थीं। प्रारंभिक शिक्षा अररिया और फारबिसगंज में हुई, फिर बनारस और भागलपुर से आगे की पढ़ाई की।

वह समाजवादी आंदोलन से जुड़े और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने पर जेल गए। वे नेपाल की क्रांति में भी सक्रिय रूप से शामिल हुए और नेपाल रेडियो के पहले डायरेक्टर जनरल बने।

1952-53 में बीमारी के कारण राजनीति से दूर होकर साहित्य सृजन की ओर रुख किया। 1954 में "मैला आँचल" उपन्यास से हिंदी साहित्य में धूम मचा दी।

🏵️ आँचलिकता के प्रवर्तक:

हिंदी कथा साहित्य में "आँचलिक युग" की स्थापना का श्रेय रेणु को जाता है। ग्रामीण जीवन, बोली, लोक संस्कृति और रागात्मक चित्रण उनकी रचनाओं की विशेषता है।

📚 प्रमुख कृतियाँ:

  • उपन्यास: मैला आँचल, परती परिकथा, जुलूस, पल्टू बाबू रोड, दीर्घतपा, कितने चौराहे
  • कहानी-संग्रह: ठुमरी, एक आदिम रात्रि की महक, अग्निखोर, मेरी प्रिय कहानियाँ, अच्छे आदमी
  • चर्चित कहानियाँ: मारे गए गुलफाम, पंचलाइट, लाल पान की बेगम, ठेस, संवदिया
  • रिपोर्ताज़/निबंध/संस्मरण: ऋणजल-धनजल, श्रुत-अश्रुत पूर्व, आत्म परिचय, वन तुलसी की गंध, समय की शिला पर, नेपाली क्रांतिकथा

🎖️ सम्मान:

फणीश्वरनाथ रेणु को भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया। उनके सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया गया।

🕯️ निधन:

11 अप्रैल 1977 को उनका निधन हो गया। हिंदी साहित्य में उनका योगदान अमर है।

👉 और जानें: हमारे टेलीग्राम चैनल से जुड़ें

Post a Comment

0 Comments