बरनौली का प्रमेय (Bernoulli’s Theorem in Hindi)
📘 बरनौली का प्रमेय क्या है?
स्विस गणितज्ञ डैनियल बर्नौली ने 1738 में यह सिद्धांत प्रतिपादित किया। इस प्रमेय के अनुसार, जब कोई असंपीड्य और अश्यान तरल किसी पाइप या मार्ग में नियत वेग से प्रवाहित होता है, तो उस तरल के हर बिंदु पर दाब ऊर्जा, गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा का योग स्थिर
इसलिए इसे ऊर्जा संरक्षण का नियम
📐 बरनॉली प्रमेय का सूत्र:
दाब ऊर्जा + गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा = नियत
P + (½ ρv²) + (ρgh) = constant
- P = दाब (Pressure)
- ρ = द्रव की सघनता (Density)
- v = वेग (Velocity)
- g = गुरुत्वीय त्वरण (Acceleration due to gravity)
- h = ऊँचाई (Height)
🎯 बरनॉली सिद्धांत का सार:
यदि किसी पाइप में तरल का वेग बढ़ता है, तो उस स्थान पर दाब घटता है, और यदि वेग कम होता है तो दाब बढ़ता है।
🧪 उदाहरण से सत्यापन:
मान लीजिए एक पाइप के दो छोर हैं:
- छोर A का व्यास बड़ा है और छोर B का व्यास छोटा।
- तरल A से B की ओर बह रहा है।
तो:
- छोर A पर वेग कम → दाब अधिक
- छोर B पर वेग अधिक → दाब कम
यही पानी की तेज धार या विमान के पंखों पर कम दाब
🧰 दैनिक जीवन में उपयोग:
- हवाई जहाज के उड़ान सिद्धांत में
- स्प्रे बोतल और परफ्यूम की बॉटल
- कार्ब्युरेटर में ईंधन का मिश्रण
- पाइप में तेज गति से पानी का बहाव
📌 निष्कर्ष:
बरनॉली प्रमेय हमें यह समझने में मदद करता है कि द्रव किस तरह से बहता है, और उसके बहाव पर दाब और ऊँचाई का क्या असर पड़ता है। यह प्रमेय विशेष रूप से फ्लूइड मैकेनिक्स, फिजिक्स, और इंजीनियरिंग में बहुत महत्वपूर्ण है।
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