आइंस्टीन का प्रकाश विद्युत समीकरण:-
1905 में आइंस्टीन ने प्रकाश विद्युत प्रभाव की व्याख्या प्लांक के क्वांटम सिद्धांत के आधार पर की इस सिद्धांत के आधार पर प्रकाश ऊर्जा के छोटे-छोटे बंडलो अथवा पैकेटो के रूप में उत्सर्जित होकर तरंगों के रूप में संचरित होता है इन्हें फोटान अथवा क्वाटां कहते हैं। प्रत्येक फोटोन की ऊर्जा
hv या hc/✓
E = hc/✓ = hv [ v = c/✓ ]
जहां,
v = प्रकाश की आवृत्ति
h = प्लांक का सार्वत्रिक नियतांक हैं।
h = 6.6 × 10-³⁴ joule-sec
प्रकाश विद्युत समीकरण :–
जब कोई फोटान धातु के प्लेट पर गिरता है तो वह अपनी संपूर्ण ऊर्जा hv को धातु के भीतर उपस्थित इलेक्ट्रान में से एक ही इलेक्ट्रॉन को स्थानांतरित कर देता है तथा इस ऊर्जा का कुछ भाग इलेक्ट्रॉन को धार से बाहर निकलने में व्यय हो जाता है तथा शेष ऊर्जा इलेक्ट्रान के गतिज ऊर्जा के रूप में मिल जाती है।
माना धातु के पृष्ठ से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा Ek है तथा धातु से 1 इलेक्ट्रॉन को बाहर निकलने के लिए आवश्यक ऊर्जा W है W को धातु का कार्य फलन कहते हैं इसका मान भिन्न-भिन्न धातुओं के लिए भिन्न-भिन्न होता है
तो उपरोक्त व्याख्या के अनुसार
hv = W + Ek
Ek = hv -W
यदि दी हुई धातु के लिए प्रकाश की देहली आवृत्ति v० हो तो
W = hv०
Ek = hv - hv०
Ek= h(v - v०)
यदि उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रॉन का अधिकतम वेग Vmax हो तो
Ek = 1/2 mv² max = h (v - v०)
इस समीकरण को आइंस्टीन का प्रकाश विद्युत समीकरण कहते हैं।
फोटान के कुच महत्त्वपूर्ण लक्षण:–
(i) फोटान प्रकाश की चाल से चलते हैं (3× 10⁸ m/s)
(ii) समान तरंगदैर्ध्य ✓ के संगत उत्सर्जित फोटान की ऊर्जा
E = hc/✓ = hv
(iii) जब कोई फोटान एक माध्यम से दुसरे माध्यम में जाता है तो उसकी आवृत्ति नहीं बदलती परन्तु तरंगदैर्ध्य और वेग बदल जाता है।
माना v आवृत्ति अथवा ✓ तरंगदैर्ध्य का कोई फोटान प्रकाश के वेग से गतिशील है तो प्रकाश की ऊर्जा
E = hv ........(i) प्लांक समी
E = mc² ........(ii) आइंस्टीन समी
समी (i) व (ii) से
hv = mc²
hc/✓ = mc²
h/✓ = mc
फोटन का संवेग p = m × c = h/✓
✓ = h/p
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