वैद्युत द्विध्रुव के कारण उत्पन्न विधुत क्षेत्र की तीव्रता :–
1. वैद्युत द्विध्रुव की अक्षीय स्थिति में किसी बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता:–
सूत्र:–
विधुत क्षेत्र की तीव्रता E=2p/4πहेक्सलेन जीरो r³, न्यूटन/कुलाम
निर्वात/वायु हो तब:–
9×10⁹ × 2p/r³ न्यूटन/कुलाम
विधुत क्षेत्र की दिशा ऋण आवेश से धनावेश की ओर होती है।
वैद्युत द्विध्रुव की निरक्षिये रेखा पर स्थित विद्युत क्षेत्र की तीव्रता:–
सूत्र:– E = p/4πहेक्सालेन जीरो r³ न्यूटन/कुलाम
नोट :–
अक्षिय विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E/निरक्षिय विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का अनुपात=2 होता है।
या
कह सकते हैं कि
अक्षिये विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E, निरक्षिये विद्युत क्षेत्र की तीव्रता की दोगुनी होती हैं।
एक समान वाह्य विद्युत क्षेत्र में रखे विद्युत दिध्रुव पर लगने वाले बल युग का आघूर्ण:–
यदि किसी वैद्युत द्विध्रुव को एक समान विद्युत क्षेत्र में रख दें तो उस पर एक बल युग्म कार्य करने लगता है या बल युग्म दिध्रुव को क्षेत्र की दिशा में संरेखित करने का प्रयत्न करता है जिसे प्रत्यानयन बल कहते हैं।
माना एक वैद्युत द्विध्रुव एक समान विद्युत क्षेत्र में थीटा कोण बनाते हुए रखा गया है तथा यह q1 तथा q 2 से मिलकर बना है जिनके बीच की दूरी 2l है आवेश पर बल समान परंतु विपरीत दिशा में लगते हैं।
प्रत्यानयन बल आघूर्ण =बल ×लंबावत दूरी
=F2l sin थीटा
=2lq Esin थीटा
=PE sin थीटा न्यूटन –मीटर
0 Comments