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Amonia (NH३) बनाने की प्रयोगशलाविधि, औद्योगिक स्तर पर अमोनिया का निर्माणः हैबर विधि (Preparation of Ammonia on the Industrial Scale: Haber's Method)

 Amonia (NH३) बनाने की प्रयोगशलाविधि:–


औद्योगिक स्तर पर अमोनिया का निर्माणः हैबर विधि (Preparation of Ammonia on the Industrial Scale: Haber's Method):–


औद्योगिक स्तर पर अमोनिया गैस (NH३) का निर्माण हैबर विधि द्वारा किया जाता है।



इस विधि में नाइट्रोजन (N२) तथा हाइड्रोजन (H२) को 1:3 के अनुपात में मिलाकर 200 वायुमण्डलीय दाब पर उत्प्रेरक कक्ष (Catalyst chamber) में प्रवाहित करने पर दोनों गैसें 400-500°C ताप पर क्रिया करके अमोनिया गैस (NH३) बनाती हैं तथा शेष गैसों को सरकुलेशन पम्प (Circulation pump) के माध्यम से उत्प्रेरक कक्ष में पुनः प्रवाहित कर देते हैं।

सामान्यतः कम ताप पर अभिक्रिया मन्द होती है, अतः आयरन (Fe) व उत्प्रेरक वर्धक (Catalyst promotor) मॉलिब्डेनम (Mo) प्रयोग में लिए जाते हैं। इस कारण अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है। इस प्रक्रम के प्रत्येक पद में 10 - 15% अमोनिया प्राप्त होती है।




भौतिक गुण (Physical Properties):–


अमोनिया के प्रमुख भौतिक गुण निम्नलिखित हैं 


(i) यह एक तीव्र गन्ध वाली, रंगहीन तथा क्षारकीय गैस है। यह जल में अत्यधिक विलेय है। 10°C पर एक भाग जल में 1300 भाग अमोनिया घुल जाती है।


(ii) इसे सूंघने पर आँखों में आँसू आ जाते हैं तथा अत्यधिक मात्रा में सूंघने पर मृत्यु भी हो जाती है।


(iii) इसका घनत्व 0.59 होता है अर्थात् यह वायु से हल्की होती है।


(iv) अमोनिया को ठण्डा करने पर यह रंगहीन द्रव में परिवर्तित हो जाती है।


(v) द्रव अमोनिया का क्वथनांक - 334°C तथा हिमांक 78°C होता है।


(vi) जल के समान अमोनिया भी विद्युत की कुचालक होती है।


(vii) इसका क्रान्तिक ताप (Critical temperature) 133°C है, अत: सामान्य ताप पर ही दाब में वृद्धि करते रहने पर यह द्रवित हो जाती है।


रासायनिक गुण (Chemical Properties):-


अमोनिया के प्रमुख रासायनिक गुण निम्नलिखित हैं


(i) दहन (Combustion) अमोनिया गैस न तो स्वयं जलती है और न ही दूसरे पदार्थों को जलाने में सहायक होती हैं परन्तु ऑक्सीजन (O२) की उपस्थिति में यह पीली लौं के साथ जलती है। इस अभिक्रिया के फलस्वरूप नाइट्रोजन (N२) व जल (H२O) का निर्माण होता है।



(ii) अपघटन (Decomposition) उच्च ताप पर या विद्युत स्फुलिंग (Electric spark) करने पर यह अपने अवयवी तत्वों में वियोजित हो जाती है।



(iii) क्षारकीय गुण (Basic Property) यह अम्लों से क्रिया करके लवणों का निर्माण करती है, अतः यह क्षारकीय होती है।



(iv) जल से क्रिया (Reaction with Water) यह जल (H२O) से क्रिया करके क्षारीय जलीय विलयन बनाती है, जोकि लाल लिटमस को नीला , कर देता है। (लिटमस परीक्षण)



(v) धातुओं से अभिक्रिया (Reaction with Metals) अमोनिया गैस को क्षार धातुओं; जैसे- सोडियम (Na) तथा पोटैशियम (K) पर प्रवाहित करने पर क्रमशः सोडामाइड (NaNH२) व पोटाश ऐमाइड (KNH२) निर्मित होते हैं।



यद्यपि इसे उच्च ताप पर मैग्नीशियम के ऊपर प्रवाहित करने पर मैग्नीशियम नाइट्राइड बनता है तथा हाइड्रोजन गैस मुक्त होती है।




उपयोग (Uses):-


अमोनिया के निम्नलिखित उपयोग हैं


(i) बर्फ के कारखानों में प्रशीतक (Coolant) के रूप में।

(ii) प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।

(iii) विस्फोटक पदार्थ बनाने में।

(iv) नाइट्रोजनयुक्त उर्वरक; जैसे— यूरिया (NH२CONH2), अमोनियम नाइट्रेट (NH4 NO३), अमोनियम सल्फेट [(NH4)२SO4], आदि के निर्माण में। 

(v) कृत्रिम रेशों के निर्माण में (कृत्रिम रेशम) ।

(vi) ओस्टवॉल्ड विधि द्वारा नाइट्रिक अम्ल (HNO३) के निर्माण में।

(vii) 'अश्रु गैस' के निर्माण में।

(viii) औषधि (Medicine) तथा चिकनाई के धब्बे दूर करने में।

(ix) हाइड्रोजन के परिवहन में, क्योंकि हाइड्रोजन खतरनाक (Dangerous) तथा अत्यन्त ज्वलनशील (Inflammable) होती है, इसलिए इसे अमोनिया में परिवर्तित करके भेजा जाता है।


नोट: वर्तमान में अमोनिया (NH3) का प्रयोग प्रशीतक के रूप में कम किया जाता है क्योंकि अमोनिया के रिसाव के कारण वायु तथा जल प्रदूषण होता है।




परीक्षण (Tests):-


अमोनिया का परीक्षण निम्नलिखित प्रकार से किया जाता है


(i) अमोनिया गैस से भरे गैस जार में हाइड्रोजन क्लोराइड (HCI) से भीगी छड़ ले जाने पर यह अमोनियम क्लोराइड (NH4 CI) का श्वेत धूम्र (धुँआ) देती है।


(ii) इसकी गन्ध तीव्र तथा आँसू लाने वाली होती है। (iii) यह लाल लिटमस को नीला कर देती है। 

(iv) नेसलर अभिकर्मक के साथ यह भूरा अवक्षेप बनाती है।


अमोनिया की जल में विलेयता व क्षारकीय गुण की पहचान (Identity of Basic Property and Solubility of Ammonia in Water):-


अमोनिया की जल में विलेयता व क्षारकीय गुण की पहचान निम्न प्रकार की जाती है। 


(i) एक गोल पेंदी के फ्लास्क में शुष्क अमोनिया (NH३) भरकर कॉर्क की सहायता से निकास नली लगाकर स्टैण्ड पर उल्टा कस देते हैं।


(ii) निकास नली का दूसरा सिरा, जिस पर स्टॉप कॉर्क लगा होता है, लाल लिटमस के विलयन से भरे पात्र में डुबो देते हैं।


(iii) जैसे ही स्टॉप कॉर्क को खोला जाता है, तो विलयन फव्वारे (Fountain) के रूप में फ्लास्क में पहुँच जाता है।


(iv) फ्लास्क में पहुँचने वाला लाल लिटमस का विलयन अमोनिया के कारण नीला हो जाता है।

यह प्रयोग अमोनिया (NH३) की जल (H२O) में विलेयता (Solubility) व क्षारीयता (Basicity) दोनों को प्रदर्शित करता है। अमोनिया (NH३) की जल में विलेयता के कारण फ्लास्क में दाब कम हो जाता है, जिसके फलस्वरूप विलयन फव्वारे के रूप में ऊपर उठने लगता है।




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