फास्फोरस के योगिक :–
फॉस्फीन (pH३):– फॉस्फीन की खोज 1783 में 'फिलिप गेंगेम्ब्रे' (Philippe Gengembre) ने की थी। यह सफेद फास्फोरस को निष्क्रिय वातावरण में कास्टिक सोडा के विलयन के साथ गर्म करने पर गर्म करके बनाई जाती है।पेड़-पौधों व अन्य कार्बनिक पदार्थों के सड़ने से दलदली स्थानों में फॉस्फीन गैस उत्पन्न होती है, और वायु में जलती है जिससे चमक पैदा होती है।
प्रयोगशाला में फॉस्फीन गैस बनाने की विधि:–
प्रयोगशाला में फॉस्फीन गैस वायु की अनुपस्थिति में सफेद फास्फोरस को कास्टिक सोडा के विलयन के साथ गर्म करके बनाई जाती है ।विधि :–
एक प्लास्क में कास्टिक सोडा 30% उसमें सफेद फॉस्फोरस के कुछ टुकड़े डाल देते हैं, अब प्लास्क को धीरे-धीरे गर्म करते हैं, जिससे फास्फीन गैस बनती है और जल में डूबी हुई निकास नली से गैस के बुलबुले निकलते हैं गैस के प्रत्येक बुलबुले जल से बाहर वायु मे आते ही चमकीले प्रकाश के सामान प्रज्वालित हो जाता है ।और सफेद धुआं घुमावदार छल्ला वायु मे बन जाता है ।PH३ का शोधन:–
उपरोक्त विधि द्वारा प्राप्त फास्फीन में मुख्यत: फास्फोरस डाई हाइड्राइड और H२ की अशुद्धियों होती है। अशुद्धियों को दूर करने के लिए फास्फीन के पहले हिसकारी मिश्रण मे फिर क्युपरस क्लोराइड ,हाइड्रोजन क्लोराइड में प्रवाहित करते है। इस प्रकार शोधित pH३ शुद्ध होता है।फास्फीन बनाने की अन्य विधियां :–
1.ऑर्थोफॉस्फोरिक अम्ल को गर्म करने पर pH३ तथा ऑर्थोफॉस्फोरिक अम्ल बनता है ।2.फास्फोनियम आयोडाइड को पोटैशियम हाइड्रोक्साइड विलयन के साथ गर्म करने पर pH३ उत्पन्न होता है।
3. कैल्शियम फास्फाइड पर जल से अभिक्रिया द्वारा pH३ का निर्माण होता है ।
4.एलमुनियम फास्फाइड की H२so4 से अभिक्रिया कराने पर pH३ बनाता है।
फास्फीन के गुण :–
1. फास्फीन रंगहीन और सड़ी हुई मछली जैसी गंदगी विषैली गैस है ।2.वायु से भरी और जल में अल्प विलय है इसका जलीय विलयन लिटमस के प्रति उदासीन होता है।
रासायनिक गुण:–
1.Cl२ से अभिक्रिया :–
फास्फिन क्लोरीन गैस में जलती है और फास्फोरस पेंटाक्लोराइड बनाती है ।
2.नाइट्रिक अम्ल से अभिक्रिया:–
फास्फिन, नाइट्रिक अम्ल से क्रिया करके p२ o5 बनाता है।3. धातुओं लवणो के साथ क्रिया:–
कॉपर सल्फेट के विलयन में ph३ gas प्रवाहित करने पर cu मे अपचयित हो जाता है ।उपयोग:–
1.धातुओं के फास्फाइड बनाने में।2.समुद्र में जहाजों को संकेत देने में ।
3.फास्फोरस ट्राई क्लोराईड ( PH३)के रूप में।
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