प्रकाश का परावर्तन ,पुर्ण आंतरिक परावर्तन :-
1. प्रकाश का परावर्तन :-
जब प्रकाश किसी चिकनी व पालिशदार सतह पर आपतित होता है तो उसका अधिकांश भाग सतह से टकराकर उसी माध्यम में लौट जाता है। प्रकाश की किसी चिकनी और पालिशदार सतह से टकराकर वापस उसी माध्यम में लौटने की घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते है।
परावर्तन के नियम :-
1. प्रथम नियम :-
आपतित किरण ,परावर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर डाला गया लंब तीनों एक ही पृष्ठ में होते हैं।
2. व्दितीय नियम :-
आपतन कोण सदैव परावर्तन कोण के बराबर होता है।
प्रतिबिम्ब :-
वस्तु के किसी बिन्दु से चलने वाली प्रकाश किरणे परावर्तन या अपवर्तन के पश्चात जिस बिन्दु पर मिलती हैं या मिलती हुई प्रतीत होती है उस बिन्दु को प्रथम बिन्दु का प्रतिबिम्ब कहते हैं।
अपवर्तन :–
एक माध्यम से दूसरे माध्यम में पहुँचने वाली तरंग की गति की दिशा में परिवर्तन हो जाता है, जिसे अपवर्तन (Refraction) कहते हैं। प्रकाश जब एक माध्यम से दूसरे माध्यम में तिरछा होकर जाता है तो तो दूसरे माध्यम से इसके संचरण की दिशा परिवर्तित हो जाती है। यह अपवर्तन कहलाता है।
अपवर्तन के नियम –
अपवर्तन के दो नियम होते हैं-
(1) आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा दोनों माध्यमों को अलग करने वाले तल पर आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब, तीनों एक ही तल में होते हैं।
(2) स्नेल का नियम-किन्हीं दो माध्यमों के लिए एवं एकवर्णी प्रकाश के लिए आपतन कोण की ज्या तथा अपवर्तन कोण की ज्या का अनुपात एक नियतांक होता है ।
पुर्ण आंतरिक परावर्तन –
पूर्ण आन्तरिक परावर्तन एक प्रकाशीय परिघटना है जिसमें प्रकाश की किरण किसी माध्यम के तल पर ऐसे कोण पर आपतित होती है कि उसका परावर्तन उसी माध्यम में हो जाता है।
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