परमाणु की द्रव्यमान मान संख्या तथा परमाणु क्रमांक :–
किसी परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन व न्यूट्रान की संख्याओ का योग उस परमाणु की द्रव्यमान संख्या कहलाती है। इसे 'A' से प्रदर्शित करते हैं।
परमाणु क्रमांक :–
किसी परमाणु में उपस्थिति इलेक्ट्रान की संख्या उस परमाणु का परमाणु क्रमांक कहलाता है। परमाणु विद्युत रूप से उदासीन होता है
प्रोटॉन की संख्या परमाणु क्रमांक के बराबर होती है
नाभिको का वर्गीकरण :–
समस्थानिक (मोजले ने खोजा):–
एक ही तत्व के वे परमाणु जिनेके नाभिक का परमाणु क्रमांक सामान हो परंतु द्रव्यमान संख्या भिन्न भिन्न हो समस्थानिक कहलाते हैं
समस्थानिक की विशेषताएं:–
(i) एक ही तत्व के सभी समस्थानिको के परमाणु क्रमांक समान हो जाते हैं अतः यह आवर्त सारणी में एक ही स्थान पर पाए जाते हैं।
(ii) एक ही तत्वों के सभी समस्थानिक की द्रव्यमान संख्याएं भिन्न भिन्न होती है
(iii) एक ही तत्व के सभी समस्थानिको के इलेक्ट्रॉन विन्यास समान होते हैं।
(iv) एक ही तत्व के सभी समस्थानिको मैं न्यूट्रानो की संख्या भिन्न भिन्न होने के कारण भौतिक गुण भिन्न होते हैं ।
समभारिक :–
विभिन्न तत्वों के परमाणु जिनके नाभिक में न्यूक्लियानो की संख्या समान होते हैं समभारिक कहलाते हैं ।
समभारिक की विशेषताएं :–
(i) समभारिको के परमाणु क्रमांक भिन्न होने के कारण आवर्त सारणी में स्थान भिन्न भिन्न होते हैं।
(ii) समभारिक में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन की संख्या भिन्न होती है।
समन्यूट्रॉनिक:–
विभिन्न तत्वों के परमाणु के वे नाभिक जिनमें केवल न्यूट्रॉन की संख्या समान होती है समन्यूट्रॉनिक कहलाते हैं।
मूलकण तथा प्रतिकण:–
वे कण जिनका निर्माण अन्य कानों से नहीं होता है मूल कण कहलाते हैं ।
यदि दो कण परस्पर मिलने पर एक दूसरे का पूर्ण विनाश कर दें तो उनमें से एक कण दूसरे कण का प्रतिकण या एंटीकण कहलाता है।
जैसे - इलेक्ट्रान का प्रतिकण पोजीट्रान (e+) प्रोट्रान का एंटी प्रोट्रान
नाभिकीय बल :–
नाभिक के न्यूक्लियानो के परस्पर संबंध रखने वाले बल को नाभिकीय बल कहते हैं ।
(i) नाभिकीय बल की प्राकृतिक आकर्षणात्मक होती है ।
(ii) नाभिकीय बल लघु परासी होता है (10-¹⁵ भी)
(iii) नाभिकीय बल अत्यंत तीव्र होता है
(iv) नाभिकीय बल की प्रकृति 5× 10-¹⁶ या 5 × 10-¹⁵ मी दूरी पर प्रतिकर्षणात्मक होती है।
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