राय कृष्णदास का जीवन परिचय (Rai Krishna Das Biography in Hindi)
राय कृष्णदास हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध गद्यगीत लेखक और भारतीय कला-संस्कृति के अद्भुत साधक थे। इनका जन्म 13 नवम्बर 1892 को काशी के प्रतिष्ठित राय परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम राय प्रह्लाददास था, जो कला और साहित्य के संरक्षक थे।
राय कृष्णदास जी ने बचपन से ही काव्य प्रतिभा दिखाना शुरू कर दिया था। मात्र 8 वर्ष की उम्र में वे कविता लिखने लगे थे। वे जयशंकर प्रसाद, रामचंद्र शुक्ल और मैथिलीशरण गुप्त जैसे साहित्यकारों के संपर्क में आए।
🎓 शिक्षा और अध्ययन:
पिता के देहांत के बाद उन्होंने स्वाध्याय से हिंदी, अंग्रेज़ी और बांग्ला का अध्ययन किया। कला, संस्कृति और इतिहास में गहरी रुचि रखने वाले राय साहब ने बनारस में 'भारत कला भवन' की स्थापना की, जो अब काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का हिस्सा है।
📘 राय कृष्णदास की प्रमुख कृतियाँ:
- कविता संग्रह: ब्रजरज (ब्रजभाषा), भावुक (खड़ी बोली)
- गद्यगीत: साधना, छायापथ
- निबंध: संलाप, प्रवाल (संवाद शैली में)
- कहानी संग्रह: अनाख्या, सुधांशु, आँखों की थाह
- अनुवाद: पगला (खलील जिब्रान की 'The Mad Man' का अनुवाद)
- सम्पादन: इक्कीस कहानियाँ, नयी कहानियाँ
- कला पर ग्रंथ: भारत की चित्रकला, भारतीय मूर्तिकला
🏅 पुरस्कार और सम्मान:
- सन् 1980 में भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से सम्मानित।
- ‘भारतीय कला भवन’ और ‘भारती भंडार’ जैसे संस्थानों के संस्थापक।
🖼️ साहित्य और कला में योगदान:
राय कृष्णदास ने न केवल हिंदी साहित्य में गद्यगीत को स्थापित किया, बल्कि चित्रकला और मूर्तिकला जैसे पारंपरिक कलाक्षेत्रों को जीवंत बनाए रखा। उनके प्रयासों से भारत कला भवन जैसे सांस्कृतिक संस्थान अस्तित्व में आए, जो आज भी शोध एवं अध्ययन का प्रमुख केंद्र हैं।
🕯️ निधन:
सन् 1980 में साहित्य और कला के इस महान साधक का निधन हो गया।
🔚 निष्कर्ष:
राय कृष्णदास न केवल एक साहित्यकार थे, बल्कि कला, संस्कृति और इतिहास के समर्पित सेवक भी थे। उनकी रचनाएँ आज भी विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
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