🌌 आकाश का नीला रंग क्यों दिखाई देता है?
परिचय:
हम प्रकाश के प्रकीर्णन (Scattering) के बारे में पढ़ चुके हैं, जिसमें वायुमण्डल में उपस्थित कण प्रकाश को अवशोषित करके सभी दिशाओं में फैला देते हैं। आकाश का नीला दिखना भी इसी प्रक्रिया पर आधारित है।
प्रकाश का प्रकीर्णन क्या है?
जब सूर्य का प्रकाश वायुमण्डल से होकर गुजरता है, तो उसमें मौजूद गैस कण विशेष तरंगदैर्ध्य (wavelength) वाली रोशनी को अधिक फैला देते हैं।
रैले के नियम के अनुसार:
प्रकीर्णन की तीव्रता ∝ 1/λ4 (जहाँ λ = तरंगदैर्ध्य)
इसका अर्थ है कि नीली रोशनी (जिसकी तरंगदैर्ध्य कम होती है) सबसे अधिक प्रकीर्णित होती है।
आकाश नीला क्यों दिखाई देता है?
- नीले रंग की तरंगदैर्ध्य सबसे कम होती है।
- वायुमंडल में गैस कण सबसे ज्यादा नीली रोशनी को फैला देते हैं।
- इस फैले हुए प्रकाश का कुछ भाग हमारी आँखों तक पहुँचता है जिससे आकाश नीला दिखाई देता है।
अगर वायुमंडल न हो तो?
- प्रकीर्णन नहीं होगा।
- आकाश काला दिखाई देगा।
- हमें दिन में भी तारे दिखाई देंगे, जैसे अंतरिक्ष में होता है।
❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1. आकाश नीला क्यों दिखाई देता है?
क्योंकि नीली रोशनी सबसे अधिक प्रकीर्णित होती है।
Q2. रैले नियम क्या है?
प्रकीर्णन ∝ 1/λ4 — यानी कम तरंगदैर्ध्य वाली रोशनी ज़्यादा प्रकीर्णित होती है।
Q3. अगर वायुमंडल न हो तो आकाश का रंग कैसा होगा?
काला दिखाई देगा और दिन में तारे भी दिखेंगे।
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