प्रतापनारायण मिश्र का जीवन परिचय | साहित्यिक योगदान और रचनाएँ
प्रतापनारायण मिश्र हिंदी के प्रसिद्ध लेखक, व्यंग्यकार और पत्रकार थे। इनका जन्म सन् 1856 ई. में उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बैजे गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम संकटाप्रसाद मिश्र था, जो कि एक विद्वान ज्योतिषी थे।
प्रतापनारायण मिश्र जी की प्रारंभिक शिक्षा कानपुर में हुई। वे नियमित विद्यालयी शिक्षा तो पूरी नहीं कर सके, लेकिन उन्होंने स्वाध्याय से हिंदी, संस्कृत, उर्दू, फारसी और अंग्रेज़ी जैसी भाषाओं में गहरी समझ विकसित की।
✍️ साहित्यिक जीवन परिचय
प्रतापनारायण मिश्र जी का साहित्यिक रुझान हास्य, व्यंग्य और सामाजिक आलोचना'हिन्दू पंच'
प्रतापनारायण मिश्र – जीवन परिचय (Class 10 Hindi)लेखक–एक संक्षिप्त परिचय सहित:-
✍️ जीवन-परिचय:-
पं० प्रतापनारायण मिश्र का जन्म सन् 1856 ई० में उन्नाव जिले के बैजे नामक गाँव में हुआ था। इनके पिता संकटाप्रसाद एक विख्यात ज्योतिषी थे और इसी विद्या के माध्यम से वे कानपुर में आकर बसे थे। पिता ने प्रतापनारायण को भी ज्योतिष की शिक्षा देना चाहा, पर इनका मन उसमें नहीं रम सका। अंग्रेजी शिक्षा के लिए इन्होंने स्कूल में प्रवेश लिया, किन्तु उनका मन अध्ययन में भी नहीं लगा। यद्यपि इन्होंने मन लगाकर किसी भी भाषी का अध्ययन नहीं किया, तथापि इन्हें हिन्दी, उर्दू, फारसी, संस्कृत और बँगला का अच्छा ज्ञान हो गया था। एक बार ईश्वरचन्द्र विद्यासागर इनसे मिलने आये तो इन्होंने उनके साथ पूरी बातचीत बँगला भाषा में ही किया। वस्तुतः मिश्र जी ने स्वाध्याय एवं सुसंगति से जो ज्ञान एवं अनुभव प्राप्त किया, उसे गद्य, पद्य एवं निबन्ध आदि के माध्यम से समाज को अर्पित कर दिया। मात्र 38 वर्ष की अल्पायु में ही सन् 1894 ई० में कानपुर में इनका निधन हो गया।।
📖 साहित्यिक परिचय:-
मिश्र जी ने अपने साहित्यिक जीवन की शुरुआत लोक साहित्य और व्यंग्य लेखन से की। वे समाज के दोषों, रूढ़ियों, पाखंडों और अंग्रेजी शासन की नीतियों की कटु आलोचना व्यंग्यात्मक शैली में करते थे। उनकी भाषा सरल, प्रभावशाली, संवादात्मक और हास्यपूर्ण होती थी।
उन्होंने ‘हठी हम्मीर’, ‘कवी-कौंसिल’, ‘गो-रक्षा’, ‘भारत-दुर्दशा’, ‘बात’, ‘मुख्य’ आदि प्रमुख रचनाएँ दीं।
🧾 लेखक – एक संक्षिप्त परिचय:-
जन्म-स्थान: बैसे गाँव (उन्नाव), ३०९०१
जन्म एवं मृत्यु वर्ष: 1856 ई० – 1894 ई०
पिता: संतत मिश्र (ज्योतिषी)
प्रमुख कृतियाँ: कवी-कौंसिल, हठी हम्मीर, गो-रक्षा, बात, भारत-दुर्दशा
भाषा: व्यावहारिक एवं व्यंग्यात्मक
हिन्दी साहित्य में स्थान: हिन्दी के प्रचार-प्रसार में विशेष योगदान रहा।
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