वैद्युत-द्विध्रुव के कारण अक्षीय स्थिति में वैद्युत-क्षेत्र की तीव्रता का व्यंजक प्राप्त कीजिए। :-
उत्तर- अक्षीय स्थिति में वैद्युत-क्षेत्र की तीव्रता-
माना कि एक वैद्युत-द्विध्रुव AB, जिसमें (+q) व (-q) कूलॉम के आवेश एक-दूसरे से 2l मीटर की दूरी पर स्थित है, किसी ऐसे माध्यम में रखा है जिसका परावैद्युतांक K है। द्विध्रुव की अक्ष पर द्विध्रुव के मध्य बिन्दु O से r मीटर की दूरी पर स्थित प्रेक्षण बिन्दु P है, जिस पर वैद्युत-क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है।
माना कि द्विध्रुव के आवेश +q व -q के कारण बिन्दु P पर उत्पन्न वैद्युत-क्षेत्र की तीव्रता क्रमशः E1 व E₂ हैं। चित्र से स्पष्ट है कि आवेश (+q) से बिन्दु P की दूरी (r-l ) है और आवेश (-q) से इसकी दूरी (r+l) है, अतः
क्योकि बिन्दु P पर तीव्रताएँ E1 और E₂ एक ही रेखा के अनुदिश विपरीत दिशाओं में कार्यरत हैं, अतः बिन्दु P पर परिणामी तीव्रता E इन दोनों तीव्रताओं के अन्तर के बराबर होगी तथा परिणामी तीव्रता E की दिशा E1 की दिशा में ही होगी; क्योकि E1 > E₂
यदि द्विध्रुव की लम्बाई के सापेक्ष प्रेक्षण बिन्दु P की मध्य बिन्दु O से दूरी r बहुत अधिक है (अर्थात् >>2l ) तो r की तुलना में l² का मान उपेक्षणीय होगा। अतः इस दशा में द्विध्रुव के कारण बिन्दु P पर वैद्युत-क्षेत्र की तीव्रता
वैद्युत-क्षेत्र E की द्विध्रुव के अक्ष के सदिश ऋणावेश से धनावेश की होगी।
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